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बदहाल कल्ला ब्रिज की उदासीनता से हादसे को मिलता आमंत्रण
80 साल पहले किया गया था इसका निर्माण इस पुल से गुजरे जवाहरलाल, जगजीवन राम पीडब्ल्यूडी विभाग के स्तर से नहीं हुई मरम्मत आसनसोल. काजी नजरूल विश्वविद्यालय कार्यालय से सटी नूनी बुड़ी नदी पर स्थित कल्ला ब्रिज के रख रखाव के प्रति उदासीनता से स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है. स्थानीय निवासियों ने कहा कि […]
80 साल पहले किया गया था इसका निर्माण
इस पुल से गुजरे जवाहरलाल, जगजीवन राम
पीडब्ल्यूडी विभाग के स्तर से नहीं हुई मरम्मत
आसनसोल. काजी नजरूल विश्वविद्यालय कार्यालय से सटी नूनी बुड़ी नदी पर स्थित कल्ला ब्रिज के रख रखाव के प्रति उदासीनता से स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है.
स्थानीय निवासियों ने कहा कि पुल का निर्माण 80 साल पहले ब्रिटिश शासनकाल में हुआ.कल्ला सेंट्रल अस्पताल का फांउडेशन समारोह सात दिसंबर,1951 को हुआ था. तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री जगजीवन राय इसी पुल से होकर समारोह में हिस्सा लेने गये थे और अस्पताल के उद्घाटन के लिए आश्रम मोड़ सडक मार्ग से होते हुए तत्कालिन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इसी पुल से होकर उदघाटन समारोह में शामिल हुए थे. इतने गणमान्य व्यक्तियों के उपयोग किया गया यह पुल इस दौर में उपेक्षित है.
वार्ड संख्या 14 और वार्ड संख्या 31 के दर्जनों ग्रामों में आवागमन का एक मात्र साधन कल्ला ब्रिज के लंबे समय से कोइ रख रखाव कार्य नहीं किया गया है. पुल के दोनों ओर दर्जनों शिक्षण संस्थान और औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं. आने जाने के लिए रोजाना हजारों लोग इस पुल का उपयोग करते हैं.
पुल के इस पार वार्ड संख्या 31 अंतर्गत काजी नजरूल विश्वविद्यालय कार्यालय है और पुल के उस पार वार्ड संख्या 14 अंतर्गत इसिएल का सेंट्रल अस्पताल कल्ला, गिरमिट कोलियरी, भानोडा कोलियरी, कल्ला हरीपद हाइ स्कूल, दोमहानी केलेजोडा हाइ स्कूल, कल्ला वेलफेयर स्कूल, चुरूलिया कॉलेज है जहां आवागमन के लिए लोग इस एक मात्र पुल का उपयोग करते हैं. पुल की अहमियत तब समझ में आती है, जब बरसात में नदी का जल स्तर बढ़ने से पुल पुरी तरह नुनिया नदी के पानी में जलमग हो जाता है और जल स्तर सामान्य होने तक पूल के दोनो और आवागमन घंटों बाधित रहता है.
कल्ला सेंट्रल अस्पताल के सीएमएस आइसी (प्रबंधन) डॉ श्यामली अधिकारी ने कहा कि सांकतोडिया अस्पताल से रेफर किये हुए मरीज तथआ इसीएल के विभिन्न क्षेत्रों की कोलियरियों, ओसीपी से अधिकारी, मरीज, श्रमिक यहां बेहतर चिकित्सा के लिए आते हैं. यहां चिकित्सा के बेहतर और अत्याधुनिक उपकरण हैं, डायलासिस की सुविधा है इसलिए दूर दराज से बडी संख्या में मरीजों का आना स्वाभाविक है.
पुल के संकरे और दोनों और खुला होने के कारण पुल के उपयोग में दुर्घटना की आशंका रहती है. पुल की चौडाई बढ़ायी जानी चाहिए थी और इसके दोनों और पिलर से गार्ड दिया जाना चाहिए था.
सांकतोडिया स्थित इसीएल मुख्यालय के महाप्रबंधक (सिविल) एके वर्मा ने कहा कि उस ब्रिज से होकर इसीएल की विभिन्न कोलियरियों से रोजाना बडी संख्या में सामान्य और गंभीर मरीज इलाज के लिए कल्ला सेंट्रल अस्पताल में जाते हैं. पुल से होकर श्रीपुर एरिया के कोलियरियों के कई वाहनों का उपयोग कोयला परिवहन के लिए भी किया जाता है. उन्होंने कहा कि पुल की स्थिति के बारे में उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है. अगर पुल को लेकर किसी प्रकार के निर्माण या मरम्मत की जरूरत है तो इसिएल के स्थानीय एरिया के सिविल इंजीनियर को वहां के बारे में प्रस्ताव भेजना चाहिए था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के किसी संपत्ति पर निर्माण कार्य में लंबी प्रक्रिया लगती है उनके अनुमति की जरूरत होती है.
आसनसोल नगर निगम के अधीक्षण अभियंता सुकमल मंडल ने कहा कि कल्ला सडक और पुल पीडब्ल्यूडी की संपत्ति है. जिसके रख रखाव का दायित्व उसी विभाग का है. एक बार निगम स्तर से संस्थान को पुल के जिर्नोद्धार के लिए पत्र भी लिखा गया था परंतु विभागीय स्तर से कोई पहल नहीं हुई. स्थानीय पार्षद नरेंद्र मुमरू ने कहा कि ब्रिज काफी पुराना है. मरम्मत की जानी चाहिए. रोजाना हजारों छोटे बडे वाहन और स्टूडेंटस पुल का प्रयोग करते हैं. कई बार छोटे बडे दुर्घटनाएं भी हुई हैं. पार्षद दिलीप माली ने कहा कि बरसात के दिनों में लोगों को पुल पार करने में दिक्कत होती है. पुल के दोनों और पिलर देकर गार्ड बनाया जाना चाहिए.
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