19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एमएसटीपी में 60 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा, 22 कंपनियों को नोटिस

नोटिस का जवाब नहीं देने वाले उद्योगों को थमाया जायेगा लीगल नोटिस 1995 से उद्योग के नाम पर आवंटित हो रही है जमीन, 2012 से बदला है नियम आसनसोल : रानीगंज के मंगलपुर सेटेलाइट टाउनशिप प्रोजेक्ट (एमएसटीपी) में आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (अड्डा) की 60 एकड़ जमीन पर विभिन्न उद्योगों द्वारा कब्जा करने के खिलाफ […]

नोटिस का जवाब नहीं देने वाले उद्योगों को थमाया जायेगा लीगल नोटिस

1995 से उद्योग के नाम पर आवंटित हो रही है जमीन, 2012 से बदला है नियम
आसनसोल : रानीगंज के मंगलपुर सेटेलाइट टाउनशिप प्रोजेक्ट (एमएसटीपी) में आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (अड्डा) की 60 एकड़ जमीन पर विभिन्न उद्योगों द्वारा कब्जा करने के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है. डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत हुए टोटल स्टेशन सर्वे में खुलासा हुआ है कि उद्योगों ने आवंटित जमीन के परिमाण से अधिक करीब 60 एकड़ जमीन कब्जा कर रखा है.
अतिरिक्त जिला सब रजिस्ट्रार (एडीएसआर) के लैंड वैल्यूएशन के अनुसार, कब्जा की गयी जमीन का बाजार मूल्य करीब 84 करोड़ रुपये है. कब्जा करने वालों की सूची में शामिल 22 उद्योगों में से बखतारनगर मौजा में अकेले हुगली मिल्स प्रोजेक्ट द्वारा करीब 20 करोड़ रुपये मूल्य की 14.40 एकड़ जमीन पर कब्जे की बात कही गयी है.
कुछ उद्योग ऐसे हैं, जो पूर्णतया कब्जा की गयी जमीन पर ही खड़े हैं. पता चला है कि पहले अड्डा ने इनके लिए प्रोविजनल अलॉटमेंट दिया था. जमीन का पैसा जमा नहीं होने और अन्य तकनीकी कारणों से अड्डा से जमीन का लीज डीड नहीं मिला. इसके बावजूद प्रोविजनल अलॉटमेंट पर ही कल-कारखाने लग गये. इस सूची में धनबाद फ्यूल लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया गया है.
नोटिस में जमीन का पूरा ब्यौरा देते हुए जमीन पर काबिज कंपनियों से जमीन के सभी दस्तावेज (लीज डीड) अड्डा प्रबंधन के सामने लाने को कहा गया है. सूत्रों के अनुसार, नोटिस के जवाब का इंतजार है. अड्डा द्वारा जारी किये गये नोटिस का संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने की स्थिति में लीगल नोटिस जारी किया जा सकता है.
सनद रहे कि दुर्गापुर प्लानिंग एरिया और आसनसोल प्लानिंग एरिया, दोनों का विलय कर वर्ष 1980 में अड्डा का गठन हुआ था. शहरी और औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए वर्ष 1986 में जिले के बखतारनगर, मंगलपुर और रोनूई, इन तीन मौजा में स्थित खतियान एक (वेस्टेड लैंड) से 720 एकड़ जमीन राज्य सरकार ने अड्डा को दी. इसके एवज में अड्डा ने 76 लाख रुपये का भुगतान किया था.
इसके साथ ही अड्डा ने यहां 120 एकड़ रैयती जमीन का भी अधिग्रहण किया. कुल 840 एकड़ जमीन पर अड्डा ने एमएसटीपी की नींव रखी. एमएसटीपी के अंतर्गत ही औद्योगिक क्षेत्र बनाया गया, जहां अभी बड़े, मझौले और छोटे कुल 45 यूनिटें स्थापित हैं. उद्योगों के लिए अड्डा ने वर्ष 1995 से जमीन आवंटन का कार्य आरंभ किया. हाल ही में पूरा हुए टोटल स्टेशन सर्वे में 22 उद्योग ऐसे पाये गये, जिन्होंने आवंटित जमीन के परिमाण से पांच कट्ठा से लेकर 14 एकड़ तक अतिरिक्त जमीन पर कब्जा कर उसे अपने औद्योगिक परिसर में शामिल कर चारदीवारी से घेर लिया. इस मुद्दे को लेकर अड्डा ने अब कार्रवाई शुरू की है.
जमीन पर कब्जा करनेवाले टॉप टेन संस्थानों की सूची
अड्डा प्रबंधन ने एमएसटीपी में कथित तौर पर पांच डिस्मिल से अधिक जमीन पर कब्जा करनेवाली कंपनियों को नोटिस जारी किया है. जैसा कि अड्डा का दावा है, बखतारनगर मौजा में स्थित हुगली मिल्स प्रोजेक्ट को 13 फरवरी 2001 को अड्डा ने ले आऊट प्लॉट नंबर जी-12 में साढ़े तीन एकड़ जमीन आवंटित की थी.
पर कथित तौर पर उसने 17.90 एकड़ जमीन घेर कर प्लांट लगा लिया. श्याम सेल पावर लिमिटेड को बखतारनगर और मंगलपुर मौजा में ले आउट प्लॉट नंबर जी-6 और जी-6/ए प्लॉट में 12.38 एकड़ जमीन मिली. उसने 25.87 एकड़ जमीन घेर कर प्लांट लगाया. इसमें 4.42 एकड़ जमीन रैयती है, जिसका उल्लेख अड्डा के डीड में नहीं है.
अड्डा के मुताबिक, संस्था ने इसकी चार एकड़ जमीन अतिक्रमण की है और प्लांट एरिया के अंदर 5.07 एकड़ जमीन वन विभाग की है. जय बालाजी इंडस्ट्रियल लिमिटेड को बखतारनगर मौजा में ले आउट प्लॉट नंबर जी-1, जी-5 और जी-5/ए में क्रमशः 4.04 एकड़ जमीन 15 सितंबर 1999 को, 11.5 एकड़ जमीन 12 अक्तूबर 2001 को व 6.33 एकड़ जमीन 30 जून 2004 को दी गयी. संस्था पर अतिरिक्त 4.09 एकड़ जमीन पर कब्जा कर कुल 25.96 एकड़ जमीन घेर कर प्लांट लगाने का आरोप है. सत्यम आयरन स्टील कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को मंगलपुर मौजा में ले आउट प्लॉट जी-7, जी-7/ए और जी-7/II दो नंबर प्लॉट में कुल 14.43 एकड़ जमीन मिली.
उस पर भी 14.70 एकड़ जमीन घेर कर प्लांट लगाने का आरोप है. विदेही सिरामिक प्राइवेट लिमिटेड, जो अब हर्क इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड है, को ले आउट प्लॉट संख्या डी-15 में 30 सितंबर 2008 को 0.14 एकड़ जमीन मिली. बताया गया है कि उसने 2.12 एकड़ जमीन घेर कर अपनी यूनिट लगा ली. जय सालासर बालाजी इंडस्ट्रीज को ले आउट प्लॉट संख्या सी-1 में 30 अगस्त 1995 को बखतारनगर और मंगलपुर मौजा में 3.29 एकड़ जमीन मिली. कथित तौर पर उसने 4.93 एकड़ जमीन पर प्लांट लगा लिया.
मंगलपुर सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड को ले आउट प्लॉट संख्या डी-11 में 17 दिसंबर 2007 को मंगलपुर मौजा में 1.007 एकड़ जमीन मिली, पर उसने 2.10 एकड़ जमीन 2005 में खरीदी थी. उसके द्वारा 3.27 एकड़ जमीन घेर कर प्लांट लगाने की बात कही गयी है. श्री गोपाल गोविंद स्पॉन्ज प्राइवेट लिमिटेड को ले आउट प्लॉट संख्या जी-4 और जी-4/ए में क्रमशः 13 फरवरी 2001 को पांच एकड़ और आठ जुलाई 2004 को 6.25 एकड़ जमीन बखतारनगर मौजा मिली. इस संस्था पर 0.55 एकड़ जमीन पर कब्जा कर अपने प्लांट में शामिल करने का आरोप है.
रैनमैक वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड को ले आऊट प्लॉट संख्या डी-2 और डी-2/1 में क्रमशः पांच मई 2005 को तीन एकड़ और 0.21 एकड़ जमीन बखतारनगर मौजा में मिली. कहा गया है कि इसने ले आउट प्लॉट डी-5/1 में 0.21 एकड़ जमीन पर कब्जा कर कुल 3.42 एकड़ जमीन घेर ली है. इसके अलावा 13 अन्य उद्योगों पर भी जमीन पर कब्जा करने का आरोप है, जिन्हें नोटिस जारी किया गया है. हालांकि ये सभी अभी तक अड्डा की तरफ से हुई कार्रवाई के मुताबिक आरोप हैं. सभी को उनके कब्जेवाले भूखंड से जुड़े कागजात जमा करने के लिए नोटिस जारी किया गया है.
नेताओं व बाबुओं की भूमिका भी संदिग्ध
एमआइएस में औद्योगिक संस्थानों ने इतने बड़े पैमाने पर जमीन पर कब्जा कैसे किया, यह एक अहम सवाल है. कोई उद्यमी जब भी कोई उद्योग लगाता है, तो सबसे पहले जमीन से जुड़ी समस्याएं निबटा लेता है.
मापी में गलती से कुछ कट्ठा जमीन इधर-उधर हो सकती है. लेकिन अड्डा सूत्रों का कहना है कि कई-कई एकड़ जमीन गलती से किसी के कब्जे में नहीं चली जा सकती. एक सवाल यह भी है कि आखिर कल-कारखाने लगानेवाले इस तरह बेखौफ होकर दूसरे की जमीन पर कब्जा कैसे कर सकते हैं ? इस मुद्दे पर भी बारीकी से जांच हो सकती है कि इन्हें जमीन पर कब्जाने में किन लोगों या किन एजेसियों ने सहयोग किया. माना जा रहा है कि बिना किसी बाहरी सहयोग के इस प्रकार नहीं हो सकता.
बिना लीज डीड के ही लग गयीं औद्योगिक यूनिटें
एमएसटीपी के बखतारनगर मौजा में 5.29 एकड़ जमीन पर स्थित धनबाद फ्यूल्स लिमिटेड को जारी नोटिस में जमीन का स्टेटस वेस्टेड बताया गया है. कंपनी को जारी नोटिस में कहा गया कि 21 अगस्त, 2002 को 4.89 एकड़ जमीन अलॉट की गयी थी. लेकिन इसे रेगुलराइज नहीं किया गया. आवंटित जमीन के अलावा भी .40 एकड़ जमीन कब्जा की गयी है.
आवंटित जमीन को रेगुलराइज कराने के लिए कहा गया है. अड्डा सूत्रों के अनुसार, धनबाद फ्यूल्स को प्रोविजनल अलॉटमेंट देकर जमीन का पोसेसन दिया गया, पर लीज डीड नहीं बना. फिर भी कंपनी ने अपनी औद्योगिक यूनिट लगा ली. इसलिए उसे भी रेगुलराइजेशन के लिए नोटिस दिया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें