आसनसोल : कोल सेक्टर में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की घोषणा के बाद कोल इंडिया के भविष्य पर खतरे के बादल गहराते जा रहे हैं. एफडीआई के विरोध में पांच दिवसीय हड़ताल के तीसरे दिन बीएमएस ने इस दावे के साथ अपनी हड़ताल वापस ले ली थी कि कोयला मंत्री ने ट्विट कर आश्वस्त किया है कि कोल इंडिया और सिगरैनी में एफडीआई नहीं होगा. लेकिन संबंधित दस्तावेज इससे अलग कहानी कह रहे हैं.
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डीपीइ का सर्वेक्षण: कोल इंडिया कमजोर, इसीएल और बीसीसीएल पैदाइसी बीमार
आसनसोल : कोल सेक्टर में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की घोषणा के बाद कोल इंडिया के भविष्य पर खतरे के बादल गहराते जा रहे हैं. एफडीआई के विरोध में पांच दिवसीय हड़ताल के तीसरे दिन बीएमएस ने इस दावे के साथ अपनी हड़ताल वापस ले ली थी कि कोयला मंत्री ने ट्विट कर […]
दस्तावेजों के मुताबिक कोल इंडिया एवं उसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों की रिस्ट्रक्चरिंग (पुनर्गठन) की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. अभी कुछ समय पहले कोल इंडिया की अनुषांगिक कोयला कंपनी सीएमपीडीआईएल के कोल इंडिया से डी-मर्जर (अलग) की खबरों के बाद उसके कर्मियों ने लगातार कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन भी किया था. जानकारों की मानें तो कोल इंडिया सरकार के रडार पर है.
कोयला मंत्रालय की पहल पर 31 मार्च 2018 को सक्षम प्राधिकार द्वारा बंद करने, विनिवेश करने के लिए अनुशंसित विभागवार बीमार / कमजोर/ स्थापना काल से बीमार उद्योगों की सूची में कोल इंडिया को कमजोर, इसीएल को स्थापना काल से कमजोर, बीसीसीएल को स्थापना काल से कमजोर, सीएमपीडीआईएल को कमजोर, सीसीएल को कमजोर, एसइसीएल को कमजोर, डब्ल्यूसीएल को कमजोर, एमसीएल को कमजोर तथा एनसीएल को कमजोर केटेगरी में रखा गया था.
क्या है डीपीइ की गाइडलाइन
भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय के मंत्री अरविंद सावंत ने कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को गत 13 अगस्त को एक पत्र लिखा. पत्र में लिखा गया है कि डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (डीपीइ) ने बीमार /कमजोर / स्थापना काल से बीमार पीएसयू के रिवाइवल एवं रिस्ट्रक्चरिंग के लिए एक गाइड लाइन जारी की है.
इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रशासनिक मंत्रालय समय-समय पर उन उद्योगों की निगरानी एवं गहन समीक्षा करें. ताकि उन उद्योगों की कमजोरी या बीमारी का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया जा सके. हर वित्तीय वर्ष के अंत में उनके प्रदर्शन का विश्लेषण कर यह आकलन करें कि कोई उद्योग बीमार/ अक्षम बीमार/ कमजोर की श्रेणी में आता है या नहीं. अगर कोई पीएसयी इन किसी भी श्रेणी में आता है तो उपचारात्मक उपाय करें. एक उपयुक्त रोडमैप तथा एक्शन प्लान तैयार करें.
ऐसा करने से पीएसयू से प्राप्त सूचनाओं एवं 2017-18 के पीएसयू सर्वेक्षण के आधार पर आपके मंत्रालय के बीमार / कमजोर/ स्थापना काल से कमजोर व बीमार उद्योगों की सूची तैयार की गई है. जो आपको बेज रहा हूं. आप अपने मंत्रालय / विभाग से उपयुक्त समीक्षा करें. समीक्षा रिपोर्ट मुझे मेल से भेजी जाये.
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