रवींद्र नृत्य, लोक नृत्य एवं काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में दिखी प्रतिभाएं
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लिट्टी-चोखा ने जमाया रंग, शीघ्र ही काउंटर खाली
रवींद्र नृत्य, लोक नृत्य एवं काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में दिखी प्रतिभाएं शीघ्र समारोह आयोजित कर विजयी प्रतियोगियों को किया जायेगा सम्मानित आसनसोल : स्टूडेंट्सों की आंतरिक प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से काजी नजरूल यूनिवर्सिटी स्टूडेंटस एक्टिविटी कमेटी ने यूनिवर्सिटी परिसर स्थित विद्या चर्चा भवन के सभागार में प्रदर्शनी लगाई एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन […]
शीघ्र समारोह आयोजित कर विजयी प्रतियोगियों को किया जायेगा सम्मानित
आसनसोल : स्टूडेंट्सों की आंतरिक प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से काजी नजरूल यूनिवर्सिटी स्टूडेंटस एक्टिविटी कमेटी ने यूनिवर्सिटी परिसर स्थित विद्या चर्चा भवन के सभागार में प्रदर्शनी लगाई एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन किया. रवींद्र नृत्य, लोक नृत्य एवं काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जायेगा. सम्मान समारोह की आधिकारिक घोषणा जल्द की जायेगी.
उद्घाटन बांग्ला विभागाध्यक्ष सह स्टूडेंटस एक्टिविटी कमेटी की अध्यक्ष डॉ मोनालिसा दास ने किया. प्रतियोगिता में यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों यथा- हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, फिलोसफी, अपलाईड साइकॉलोजी आदि से छात्र- छात्राओं ने हिस्सा लिया.
रविंद्र नृत्य प्रतियोगिता में अपलाईड साइकोलॉजी विभाग की प्रियंका पॉल प्रथम, बांग्ला विभाग की पायल पात्रा द्वितीय एवं इसी विभाग की सुरभि मुखर्जी तृतीय रही. लोक- नृत्य प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के लिए अपलाईड साइकोलॉजी विभाग की प्रियंका पॉल –प्रथम, बांग्ला विभाग की आतृषा बनर्जी- द्वितीय, अपलाईड साइकोलॉजी विभाग की श्रीवंती मुखर्जी व बांग्ला विभाग की लावनी पॉल संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पर रहीं.
काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में इतिहास विभाग की अरूणिमा मंडल- प्रथम, अंग्रेजी विभाग की पल्लवी सामंत- द्वितीय तथा बांग्ला विभाग की लावणी पॉल तृतीय स्थान पर रहीं. मोहम्मद मोमिन मोल्ला को प्रदर्शन के लिए विशेष सम्मान दिया जायेगा. विद्याचर्चा भवन के निकट बांग्ला, हिंदी विभाग के स्टूडेंट्सों ने हस्त शिल्प एवं खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी लगायी. प्रदर्शनी के सभी सामान एवं खाद्य पदार्थों को छात्राओं ने अपने हाथों से तैयार किया. हस्त शिल्प प्रदर्शनी में कागज, मोती, रिबन आदि से आकर्षक इयररिंग, फुलों के कार्ड, कागज के पुष्प गुच्छ बनाये गये थे.
प्रदर्शनी में लगाये गये भोज्य पदार्थों में लिट्टी-चोखा, चटनी अध्यापकों एवं स्टूडेंट्सों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र रही. लिट्टी-चोखा काउंटर पर लिट्टी की खरीदारी के लिए अध्यापकों, यूनिवर्सिटी अधिकारियों एवं विभागीय छात्र- छात्राओं की भारी भीड़ जुटी. एक घंटे के अंदर ही सभी लिट्टी-चोखा बिक गये.
बांग्ला विभागाध्यक्ष डॉ दास ने कहा कि अध्ययन एवं पठन-पाठन के साथ-साथ स्टूडेंट्सों के अंदर कई सांस्कृतिक प्रतिभाएं नृत्य, संगीत आदि छिपी रहती हैं. जिसे बाहर लाने के लिए स्टूडेंट्सों को अवसर देना चाहिए.
गणित विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ शांतनू घोष, रसायन विभाग के डॉ उज्जवल रॉय, रसायन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ स्वाधीन कुमार साहा, हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, इतिहास विभाग के अमिताभ चटर्जी, अपलाइड साइकोलॉजी विभाग की उर्वी मुखर्जी, शुभब्रत पोद्दार, तिर्थंकर घोष, शेख मोईदुल रहमान, डॉ प्रियंका गुहा रॉय, अभिजीत साधू खां, डॉ उत्तम मंडल आदि उपस्थित थे.
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