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सांकतोड़िया : अब कोयला खदानों में डंपर चलायेंगी महिलाएं, उत्पादन तथा डिस्पैच में भी भागीदारी
सांकतोड़िया : विदेश की तर्ज पर अब कोल इंडिया की कोयला खदानों में भी महिलाओं को डंपर चलाने का अवसर मिलेगा. माइंस एक्ट में आवश्यक संशोधन पर विचार करने के लिए श्रम मंत्रालय ने कहा है. थ ही एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दस दिन में रिपोर्ट देने निर्देश दिये गये हैं. […]
सांकतोड़िया : विदेश की तर्ज पर अब कोल इंडिया की कोयला खदानों में भी महिलाओं को डंपर चलाने का अवसर मिलेगा. माइंस एक्ट में आवश्यक संशोधन पर विचार करने के लिए श्रम मंत्रालय ने कहा है.
थ ही एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दस दिन में रिपोर्ट देने निर्देश दिये गये हैं. पिछले साल से ही माइनिंग इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्राओं को एंट्री दे दी गई है. खदान में डंपर चलाने के साथ ही कोयला उत्पादन व डिस्पैच के क्षेत्र में भी काम करेंगी. इसीएल समेत सीआइएल की अन्य अनुषांगिक कंपनी में अभी तक महिलाएं कार्यालय में ही कार्य कर रही हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्ष से वर्कशॉप में तकनीकी काम में भी महिलाएं सामने आई हैं, पर खदान में कोई भी महिला काम नहीं कर रही है.
ताकि बना रहे अन्य देशों से तालमेल
कोयला क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि महिलाओं को भी खदान में काम करने मौका देने का प्रयास किया जा रहा है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इसके लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय को कारगर कदम उठाने का निर्देश दिया है.
इसके तहत माइंस एक्ट के सेक्शन 83 एवं 57 के तहत कानून बनाने, फैक्ट्री एक्ट 1948 के तहत एडवाइजरी जारी करने और माइंस एक्ट 1952 में सुटेबल संशोधन करने आदि बिंदुओं पर विचार करने को कहा गया है. यह निर्देश दिल्ली में आयोजित श्रम एवं नियोजन मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक में दिया गया. बैठक में डीजीएमएस के डीजी पीके सरकार, डायरेक्टर नीरज कुमार, आइएसएम के प्रोफेसर एमएसआर राव के अलावा कोयला व खान मंत्रालय तथा बीएमएस के राजेंद्र मिश्रा तथा एचएमएस के जावेद अख्तर उपस्थित थे.
उपस्थित सदस्यों ने कहा कि केंद्र सरकार विदेश के साथ तालमेल बना कर चलना चाहती है. अन्य देशों की तुलना में भारत पीछे न रहे, इसके लिये सरकार ने माइंस एक्ट में बदलाव लाते हुये महिलाओं को भी समान अवसर देने का निर्णय लिया है.
माइंस एक्ट में बदलाव के साथ खदानों में लागू होगा नियम इसके साथ ही खदानों में महिलाओं को काम करने का मौका देने के मसले पर मंत्रालय ने डीजीएमएस के डीजी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है.
कमेटी अपनी रिपोर्ट दस दिन में देगी. अब तक माइनिंग की पढ़ाई में छात्राओं को एडमिशन नहीं दिया जाता था और छात्राएं प्रवेश भी नहीं लेती थीं. पिछले साल से अनेक संस्थानों में छात्राओं ने भी माइनिंग की पढ़ाई शुरू कर दी है.
इसी वजह से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई और दिल्ली में इसकी बैठक हुई. माइंस एक्ट बदलाव होने के बाद सभी कोयला समेत अन्य सभी खदानों में यह नियम लागू हो जाएगा.
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