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सीआइएल: छह माह लगे मानकीकरण समिति बनाने में, कई समितियां बनीं नहीं

आसनसोल : देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा. वेज बोर्ड -10 के समझौता के बाद से कोल इंडिया प्रबंधन और मजदूर यूनियन के नेताओं के बीच अभी तक मजदूरों से जुड़े मुद्दों पर एका नहीं बन पा रही है. समझौता के बाद स्टैंडर्डाइजेशन (मानकीकरण) समिति बनाने में छह […]

आसनसोल : देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा. वेज बोर्ड -10 के समझौता के बाद से कोल इंडिया प्रबंधन और मजदूर यूनियन के नेताओं के बीच अभी तक मजदूरों से जुड़े मुद्दों पर एका नहीं बन पा रही है. समझौता के बाद स्टैंडर्डाइजेशन (मानकीकरण) समिति बनाने में छह माह लग गये. समझौता के नौ माह बाद भी समिति की एक भी बैठक नहीं हो पायी है. नतीजतन, न सिर्फ नियमित कर्मी, बल्कि अवकाशप्राप्त कर्मियों के भी कई अहम मुद्दे अधर में लटके पड़े हैं.
श्रमिक अधिकारों पर हमले में तेजी
इधर डेढ़ साल से कोल इंडिया की सभी कमेटियों से इंटक के बाहर रहने तथा चार श्रमिक संगठनों क्रमश: एटक, सीटू, एचएमएस तथा बीएमएस के बीच एका के अभाव का भरपूर लाभ प्रबंधन तथा केंद्रीय सरकार को मिल रहा है. लगातार मजदूरों के अधिकारों पर हमले तेज हो रहे हैं. सनडे-ओटी बंद कर दिये गये. सनडे को स्टैगर्ड रेस्ट में शामिल कर दिया गया. अनुकंपा पर आश्रितों की बहाली पर रोक लगा दी गयी. स्पेशल फीमेल वीआरएस के मामले भी लंबित पड़े हैं.
घाटेवाली भूमिगत खदानों को एक-एक कर बंद किया जा रहा है. एक बार फिर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लाने पर प्रबंधन गंभीर है. आनेवाले दिनों में मजदूरों पर हमले और भी तेज होने के संकेत हैं. कमर्शियल माइनिंग का मामला अभी ठंडे बस्ते में नहीं गया है. अंदरखाने में इसपर कार्य चल रहा है.
श्रमिक संघों की गोलबंदी जरूरी
कोल इंडिया के नये चेयरमैन एके झा मजदूर हित से जुड़े मामले पर गंभीर दिख रहे हैं. पर उनके आदेश का भी नीचे के अधिकारी कायदे से अनुपालन नहीं कर रहे हैं. अनुकंपा पर नियोजन मामले में उन्होंने कहा था कि इसे लेकर जब तक कोई स्कीम नहीं बन जाती, तबतक नियोजन की स्थिति पूर्ववत रहेगी.
कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक कंपनियों में आश्रितों की बहाली की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी गयी है. बहरहाल मौजूदा परिस्थितियों में अगर सभी मजदूर संगठन गोलबंद होकर अपनी ताकत का अहसास नहीं करायेंगे तो मजदूर और उद्योग विरोधी नीतियों पर अंकुश संभव नहीं है.
अक्तूबर में वेज एग्रीमेंट, अप्रैल में कमेटी
कोल इंडिया के सवा तीन लाख कोयला मजदूरों तथा कर्मचारियों का दसवां वेज एग्रीमेंट 10 अक्तूबर, 2017 को हुआ था. अमूमन हर वेज एग्रीमेंट के तत्काल बाद जेबीसीसीआइ मानकीकरण कमेटी गठित हो जाती थी. पर इस बार मानकीकरण कमेटी के गठन में छह माह लग गये. इसमें चार यूनियन एटक, सीटू, एचएमएस को एक-एक सीट देने का निर्णय हुआ.
इसमें एटक से रमेन्द्र कुमार, सीटू से डीडी रामानंदन, एचएमएस से नत्थूलाल पांडेय तथा बीएमएस से वाईएन सिंह को शामिल किया गया. चार अप्रैल को कोल इंडिया एपेक्स जेसीसी की बैठक में इसे मंजूरी देकर इसका सर्कुलर जारी कर दिया गया.
कमेटी की पहली बैठक 21 अप्रैल को रखा गयी. 18 अप्रैल को अचानक बैठक स्थगित कर दी गयी. अचानक मानकीकरण कमेटी के पुनर्गठन कर दिया गया. इसमें बीएमएस तथा एचएमएस की सीटों की संख्या बढ़ा कर दो-दो कर दी गयी. जबकि एटक तथा सीटू की सीटें एक-एक ही रही. इसका लिखित विरोध एटक तथा सीटू ने सीआइएल प्रबंधन से किया. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि किसके आदेश से एपेक्स कमेटी के निर्णय को बदला गया. लेकिन इसका कोई जबाव नहीं मिला. इसके बाद से ही दोनों यूनियनों बैठकों का विरोध कर रही हैं.
मानकीकरण में ही तय होती है अन्य समितियां
जेबीसीसीआइ मानकीकरण समिति में ही अन्य समितियों का स्वरूप तय होता है. अभी तक मानकीकरण समिति की कोई बैठक नहीं हुई है. बीते तीन जून को घोषणा के बाद भी इसे स्थगित कर दिया गया. अब दोबारा आगामी 13 जुलाई को इसकी बैठक बुलायी गयी है. एटक तथा सीटू ने इसके बहिष्कार का निर्णय लिया है.
इस समिति की बैठक न होने से रिटायर कोलकर्मी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल बेनिफीट से वंचित हैं. इस बाबत एक बोर्ड ऑफ ट्रस्टी बनाने की बात है, जो बन हीं नहीं पाया है. ऐसे में लोगों को ओपीडी तथा इंडोर मेडिकल सुविधा तक नहीं मिल पा रही है. लोग 40 हजार रूपये जमा नहीं कर पा रहे हैं.
अथ नेता उवाच: अपनी डफली, अपना राग
एटक नेता रमेन्द्र कुमार 13 जुलाई की प्रस्तावित बैठक के बहिष्कार की बात कहते हैं. कोल इंडिया प्रबंधन ने शीर्ष निकाय के निर्णय को बदल दिया है. प्रबंधन की मनमानी नहीं चलेगी. एचएमएस के नत्थूलाल पांडेय ने इस बैठक को अनिवार्य बताया. उन्होंने कहा कि श्रमिकों के कई मुद्दे लंबित हैं. बैठक के टालने पर एचएमएस तथा बीएमएस दोनों हड़ताल की नोटिस देंगे.
बीएमएस के डॉ बसंत राय ने भी एचएमएस की तरह मानकीकरण की प्रस्तावित बैठक को श्रमिक हित में जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि बैठक में ही मजदूरों के मुद्दे रखे जा सकते हैं. सीटू नेता श्री रामानंदन ने कहा कि इस बैठक से पहले प्रबंधन को कुछ सवालों का जबाब देना है. प्रबंधन श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के बजाय यूनियनों के बीत विभेद फैलाना चाहता है. बैठक का बहिष्कार जारी रहेगा.

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