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खुले में हजारों करते हैं शौच, दर्जा मिला हुआ है निर्मल का

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) प्रखण्ड का दर्जा प्राप्त कर चुके सालानपुर प्रखण्ड के आचड़ा ग्राम पंचायत में साढ़े तीन सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जिसके सदस्य खुले में शौच करते है. इनके घरों में सरकारी परियोजना के तहत शौचालय नहीं बना. बेस लाईन सर्वे के आधार पर […]

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) प्रखण्ड का दर्जा प्राप्त कर चुके सालानपुर प्रखण्ड के आचड़ा ग्राम पंचायत में साढ़े तीन सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जिसके सदस्य खुले में शौच करते है. इनके घरों में सरकारी परियोजना के तहत शौचालय नहीं बना. बेस लाईन सर्वे के आधार पर 7051 शौचालयों का अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य पूरा कर यह प्रखण्ड खुले में शौच मुक्त प्रखण्ड का दर्जा प्राप्त किया.
जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि इस प्रखण्ड में हजारों लोग खुले में शौच करते है. इनमें से अधिकांश की आर्थिक हालत काफी दयनीय है और वे 10 से 15 हजार रुपया खर्च कर खुद का शौचालय नहीं बना सकते. इन लोगों ने सरकारी शौचालय पाने का प्रयास किया. लेकिन सर्वे लिस्ट में नाम न होने के कारण उन्हें शौचालय नहीं मिला और वे खुले में शौच करने को विवश है.
सदर आसनसोल के महकमाशासक प्रलय रायचौधरी ने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े बीपीएल और प्रतिबंधित एपीएल परिवार, जिनका नाम सर्वे लिस्ट में न होने से उन्हें शौचालय नहीं मिला, ऐसे लोगों के लिए जगह जगह सामूहिक शौचालय बनाये गये है, जिनके उपयोग को लेकर समय समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है.
बेसलाईन सर्वे के आधार पर शौचालय बना
वर्ष 2012-13 में हुए बेसलाईन सर्वे के आधार सालानपुर प्रखण्ड में 7051 परिवारों के घरों में शौचालय बनाने के लिए चिन्हित किया गया. ये परिवार बीपीएल और प्रतिबंधित एपीएल थे. इस आधार पर चिन्हित परिवारों के घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य प्रखण्ड ने नवबंर, 2016 में ही पूरा किया गया और एक दिसंबर, 2016 को बर्दवान के तत्कालीन जिलाशासक डॉ सौमित्र मोहन ने आकर इस प्रखण्ड को निर्मल प्रखण्ड की घोषणा की. जिसके उपरान्त विभागीय स्तर पर सर्वे कराया गया और त्रुटियों को संशोधित किया गया. इसके बाद राज्य और केंद्रीय स्तर की टीम ने यहां का दौरा कर सालानपुर के निर्मल प्रखण्ड के दर्जा को मान्यता दे दी.
साढ़े तीन सौ से अधिक घरों में शौचालय नहीं
आठ संसदों वाली आचड़ा ग्राम पंचायत संसद नम्बर एक में कुल वोटर 800 है. यहां भंडारीपाड़ा, कुम्भकारपाड़ा, भट्टाचार्यपाड़ा, गोराईपाड़ा में कुल 50 घरों में शौचालय नहीं है. संसद दो में 850 वोटर है. यहां शांतश्रीपल्ली, कृष्णापल्ली, तिवारीपाड़ा, सरागपाड़ा में कुल 40 घरों में शौचालय नहीं है. संसद तीन में 1100 वोटर है. यहां आदिवासीपाड़ा में 80 घरों में शौचालय नहीं है. संसद चार में कुल वोटर 850 है. लंबा बस्ती में 50 घरों में शौचालय नहीं है. संसद पांच में कुल वोटर 800 है.
यहां महतोपाड़ा में 25 घर मे शौचालय नहीं बना है. संसद छह में नौ सौ वोटर है. तांतीपाड़ा, जोरबाड़ी खटाल में 40 घरों में शौचालय नहीं है. संसद सात में 750 वोटर है. बाउरीपाड़ा, संथालपाड़ा के 40 घरों में शौचालय नहीं है. संसद आठ में 800 वोटर है, यहां रुईदासपाड़ा, मोचीपाड़ा, धीबरपाड़ा, भंडारीपाड़ा में 45 घरों में शौचालय नहीं है.
लोगों ने किया आवेदन, कार्य नहीं हुआ
आचड़ा बाउरीपाड़ा के निताई रुईदास, भमर रुईदास, माणिक रुईदास, तांतीपाड़ा के प्रेमनांद तांती, मालबहाल आदिवासी बस्ती के रवि सोरेन, मंगल सोरेन, लम्बा बस्ती के श्रवण किस्कू, बबलू बाउरी, लुकु मुर्मू आदि ने बताया कि वे लोग शौचालय निर्माण को लेकर पंचायत और प्रखण्ड कार्यलय में आवेदन किया था. उन्हें बताया गया कि सर्वे लिस्ट में नाम न होने के कारण उन्हें शौचालय नहीं मिलेगा. आश्वासन दिया गया था कि मनरेगा से उन्हें शौचालय बना दिया जायेगा. लेकिन वह भी नहीं बना.
बेसलाईन सर्वे पर हुआ कार्य : महकमा शासक
सदर आसनसोल के महकमा शासक प्रलय रायचौधरी ने बताया कि बेसलाईन सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर ही शौचालय बनाने का कार्य हुआ है. रिपोर्ट में जो संख्या थी उस आधार पर शत प्रतिशत कार्य पूरा किया गया है. ऐसे अनेक परिवार है जिनकी आर्थिक स्थिति शौचालय बनाने की नहीं है और उनका बेसलाईन सर्वे में नाम न होने के कारण उनको शौचालय नहीं मिला है. ऐसे लोगो के जरूरत के लिए सामूहिक शौचालय विभिन्न स्तर से बनाये जा रहे है. सरकार की ओर से बेसलाईन संशोधन का कोई नया आदेश आता है तो जरूरतमंद सभी को शामिल किया जायेगा.

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