सीबीएसइ. शिक्षा की गुणवत्ता को विकसित करने की दिशा में नित नया प्रयोग
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छात्रों के फीडबैक से तय होगी ग्रेडिंग
सीबीएसइ. शिक्षा की गुणवत्ता को विकसित करने की दिशा में नित नया प्रयोग स्कूलों की बेहतरी के लिए बोर्ड कर रहा नये प्रयोग की तैयारी शैक्षिक, प्रशासनिक गतिविधियों,आधारभूत संसाधनों पर प्वाइंट आसनसोल : स्कूलों की बेहतरी तथा उनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) नये प्रयोग की तैयारी कर रहा है. […]
स्कूलों की बेहतरी के लिए बोर्ड कर रहा नये प्रयोग की तैयारी
शैक्षिक, प्रशासनिक गतिविधियों,आधारभूत संसाधनों पर प्वाइंट
आसनसोल : स्कूलों की बेहतरी तथा उनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) नये प्रयोग की तैयारी कर रहा है. इसके तहत स्कूलों की ग्रेडिंग की जायेगी. जिसमें स्कूल के प्रतिभावान स्टूडेंट्सों का फीडबैक महत्वपूर्ण होगा. वहीं शैक्षिक, प्रशासनिक गतिविधियों तथा आधारभूत संसाधनों की उपलब्धता को भी ग्रेडिंग के मापदंडों में शामिल किया जायेगा.
इससे स्कूल प्रबंधन आधारभूत संरचना और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता पर तो ध्यान देंगे ही, शैक्षिक गुणवत्ता को लेकर भी उनके बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी. जानकारों की माने तो इससे एडमिशन के लिए गिने-चुने स्कूलों में ही भीड़ नहीं जुटेगी, बल्कि अच्छे ग्रेड को देखते हुए लोग अन्य स्कूलों की ओर भी रूख करेंगे. इस तरह ग्रेडिंग की तैयारी अभिभावकों की मदद की दिशा में भी बोर्ड का एक कदम है.
कैसे तय होगी ग्रेडिंग
स्कूलों की ग्रेडिंग तय करने के लिए बोर्ड द्वारा मानक तैयार किये जा रहे हैं. इसके तहत केवल विद्यार्थियों का फीडबैक या आधारभूत संरचना ही शामिल नहीं है, बल्कि स्कूल में पढ़नेवाले विद्यार्थियों का नॉलेज लेवल भी देखा जायेगा. इस क्रम में इस बात पर भी ध्यान दिया जायेगा कि स्कूल में विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान ही दिया जा रहा है या मूल्य आधारित शिक्षा भी दी जा रही है. विद्यार्थियों को सर्वगुण संपन्न बनाने की दिशा में सह शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन की क्या स्थिति है, आदि.
ग्रेडिंग का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता
बोर्ड सूत्रों के अनुसार ग्रेडिंग के लिए तैयार किये जा रहे मानकों में श्क्षिा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. ताकि स्कूल प्रबंधन आधारभूत संरचना के बजाय विद्यार्थी हित में शैक्षणिक गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दें. इसमें कौशल विकास को भी मूल्यांकन करने का आधार बनाया जायेगा. ताकि विद्यार्थियों को हुनर सिखा कर स्वावलंबी बनने योग्य तैयार किया जा सके.
गुणवत्ता से होगा सुधार
बोर्ड के को-ऑर्डिनेटर डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि बोर्ड द्वारा इस तरह की मूल्यांकन व्यवस्था लागू किये जाने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा. विद्यार्थियों का चहुमुखी विकास तो होगा ही, कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिये जाने पर वे हुनरमंद होंगे. इससे स्वावलंबन को बढ़ावा मिलेगा.
अलग-अलग प्वाइंट होते हैं निर्धारित
ग्रेडिंग व्यवस्था में ग्रेड प्रदान करने के लिए अलग-अलग प्वाइंट निर्धारित होते हैं. जानकारी के अनुसार किसी भी स्कूल को ग्रेड ए तभी मिल पायेगा, जब उसका प्वाइंट 91 से 100 के बीच रहेगा. इसी तरह किसी भी स्कूल को ग्रेड बी तभी मिलेगा, जब उसका प्वाइंट 81 से 90 के बीच होगा. और 71 से 80 तक प्वाइंट प्राप्त करनेवाले स्कूल सी ग्रेड में आयेंगे. हालांकि ग्रेड प्वाइंट की अभी पुष्टि नहीं हो पायी है.
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