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विश्वनाथ बने सभाधिपति, सुधाकर सह सभाधिपति
पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के औपचारिक गठन की प्रक्रिया हो गयी पूरी आसनसोल : विश्वनाथ बाउरी पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के पहले सभाधिपति चुने गये. नये जिला परिषद के गठन को लेकर जिलाशासक शशांक सेठी ने सोमवार को नियमानुसार पश्चिम बर्दवान जिला परिषद बोर्ड के 18 पदेन (एक्स ऑफिसियो) पश्चिम बर्दवान जिला अंतर्गत सभी सांसद, […]
पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के औपचारिक गठन की प्रक्रिया हो गयी पूरी
आसनसोल : विश्वनाथ बाउरी पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के पहले सभाधिपति चुने गये. नये जिला परिषद के गठन को लेकर जिलाशासक शशांक सेठी ने सोमवार को नियमानुसार पश्चिम बर्दवान जिला परिषद बोर्ड के 18 पदेन (एक्स ऑफिसियो) पश्चिम बर्दवान जिला अंतर्गत सभी सांसद, विधायक एवं पंचायत समिति के अध्यक्ष और 17 जिला परिषद सदस्यों को लेकर पहली बैठक बुलायी.
इसमें सभाधिपति का चुनाव हुआ. इसके साथ ही जिला परिषद प्रभाव में आ गया. मौके पर जिला परिषद कार्यालय का उद्घाटन हुआ तथा परिसर में समारोह आयोजित हुआ. सभाधिपति श्री बाउरी बर्दवान जिला परिषद के 70 नम्बर जिला परिषद सीट (रानीगंज) से विजयी हुए थे. इसके साथ ही सह सभाधिपति के पद पर 74 नंबर सीट (बाराबनी) से विजयी सुधाकर कर्मकार चुने गये. आगामी 30 जून तक जिला परिषद की नौ स्थायी समितियों का गठन कर उनके कर्माध्यक्षों की चयन की प्रक्रि या पूरी करने को कहा गया है.
पूर्व बर्दवान के अतिरिक्त जिला शासक (जिला परिषद) बासक बनर्जी ने पीठासीन अधिकारी के रूप में सभाधिपति, सह सभाधिपति और जिला परिषद के सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी. मौके पर जिला परिषद के पदेन अधिकारी के रूप में श्रम एवं विधि व न्याय मंत्नी मलय घटक, मेयर सह विधायक जितेंद्र तिवारी, अड्डा के चेयरमैन सह विधायक तापस बनर्जी, सांसद सुनील मंडल के साथ पूर्व बर्दवान जिला परिषद के सभाधिपति देबू टुडू, तृणमूल शिल्पांचल जिला के अध्यक्ष वी शिवदासन आदि उपस्थित थे.
सोमवार को पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के गठन को लेकर आसनसोल कोर्ट संग्लन जिला परिषद कार्यालय में आयोजित समारोह में नयी जिला परिषद का गठन हुआ. जिला परिषद के पदेन अधिकारी सह श्रम एवं विधि व न्याय मंत्नी श्री घटक ने कहा कि बीते सात अप्रैल को मुख्यमंत्नी ममता बनर्जी ने लोगों की वर्षों की मांग को पूरा करते हुए बर्दवान जिला को दो भागों में पुनर्गठित किया. पश्चिम बर्दवान तथा पूर्व बर्दवान जिले अस्तित्व में आ गये. इसके बाद पूर्व बर्दवान जिला परिषद का गठन किया गया. पश्चिम बर्दवान जिला परिषद गठन की प्रक्रि या सोमवार को पूरी हो गयी. जिला परिषद के गठन हो जाने से ग्रामीण क्षेत्नों में विकास कार्यों की गति में तेजी आयेगी. उन्होंने राज्य सरकार की जन कल्याणकारी परियोजनाओं का जिक्र किया.
मेयर श्री तिवारी ने कहा कि राज्य के श्रम मंत्नी के नेतृत्व में पश्चिम बर्दवान जिला को नया रूप दिया जा रहा है.उनके माध्यम से आसनसोल शहर में चहुओर विकास हो रहा है. जिला परिषद के गठन के बाद उनके नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्नों में भी विकास कार्यों की गति में तेजी आयेगी. अड्डा के चेयरमैन श्री बनर्जी ने कहा कि जिला पुनर्गठन के बाद जन प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों को विकास कार्यों का सही तरीके से आकलन और निरीक्षण करने में काफी आसानी होगी. जिससे पूरे इलाके में समान रूप से विकास कार्य होगा. पूर्व बर्दवान जिला परिषद के सभाधिपति श्री टुडू ने अपने अनुभवों का जिक्र किया.
पश्चिम बर्दवान जिला के सभाधिपति श्री बाउरी ने कहा कि राज्य सरकार ने जो जिम्मेदारी उन्हें दी है, उसका सटीक रूप से निर्वाहन करेंग. सभी ने जिला परिषद के सभाधिपति और सह सभाधिपति को बधाई दी.
नरेन ने दिया सभाधिपति के नाम का प्रस्ताव
पश्चिम बर्दवान जिला के नये सभाधिपति विश्वनाथ बाउरी के नाम का प्रस्ताव पांडवेश्वर से जिला परिषद सदस्य नरेन्द्रनाथ चक्र बर्ती ने दिया. जिसका समर्थन रानीगंज के सदस्य मिठू साव तथा मंडल खां ने किया. किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया तथा श्री बाउरी निर्विरोध सभाधिपति चुन लिये गये.
सह सभाधिपति सुधाकर कर्मकार के नाम का प्रस्ताव पूर्व सह सभाधिपति प्रिया सूत्नधर ने किया., जिसका समर्थन अंडाल से जिला परिषद सदस्य रूपेश यादव ने किया. उनके खिलाफ किसी का भी प्रस्ताव नहीं आने के कारण उनका भी चुनाव निर्विरोध किया गया. हालांकि यह पूर्व निर्धारित ही था. राज्य मुख्यालय में इस मुद्दे पर हुयी बैठक में तृणमूल नेतृत्व ने पहले ही सभाधिपति तथा सह सभाधिपति के नाम की घोषणा कर दी थी. इसके बाद सब कुछ औपचारिक ही रह गया था.
प्रभात खबर का आकलन सही निकला
एक सप्ताह पूर्व ही ‘प्रभात खबर’ ने प्रमुखता से इस खबर को छापा था कि जिला परिषद के सभाधिपति का सीट अनारिक्षत होने के बावजूद इस पद पर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही बैठेगा. तृणमूल नेतृत्व ने यह निर्णय भाजपा की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता के कारण से लिया है. सूत्रों का दावा है कि हाल के दिनों में भाजपा का जनाधार अनूुसूचित जाति के बीच लगातार बढ़ रहा है.
भाजपा इसे रणनीति के रूप में उपयोग में ला रही है तथा पार्टी नेता दलितों के घर जाकर भोजन कर रहे हैं. वे जातिगत भेदभाव को समाप्त कर सौहार्द का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. इसके काट में ही तृणमूल ने पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के सभाधिपति के पद पर अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया. जबकि पूर्व बर्दवान जिला परिषद के सभाधिपति के पद पर पहले से ही अनुसूचित जन जाति के प्रतिनिधि काबिज हैं.
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