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बंगाल में भी पीएम के रूप में मोदी पहली पसंद

आम चुनाव में काफी कम वक्त बचा है. सभी दल कमर कस कर तैयार हैं. सेनापति विरोधियों को ललकार रहे हैं. इसी बीच आइबीएन7 ने देश की नब्ज टटोलने की कोशिश की. ‘अगर अभी चुनाव हों तो..’ के लिए चैनल ने सीएसडीएस से पांच से 15 जनवरी के बीच 18 राज्यों में देशव्यापी सर्वे कराया. […]

आम चुनाव में काफी कम वक्त बचा है. सभी दल कमर कस कर तैयार हैं. सेनापति विरोधियों को ललकार रहे हैं. इसी बीच आइबीएन7 ने देश की नब्ज टटोलने की कोशिश की. ‘अगर अभी चुनाव हों तो..’ के लिए चैनल ने सीएसडीएस से पांच से 15 जनवरी के बीच 18 राज्यों में देशव्यापी सर्वे कराया. इसमें 291 लोकसभा सीटों के 1081 जगहों पर कुल 18,591 लोगों से बातचीत की गयी. इसके बाद जो नतीजे सामने आये, उसके मुताबिक, बिहार, प बंगाल, झारखंड और ओड़िशा में भाजपा नेता नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में सामने आये. हालांकि, बंगाल और ओड़िशा में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल का किला और मजबूत हुआ है. इन दोनों राज्यों में भाजपा को बहुत ज्यादा फायदा नहीं दिख रहा है.

बंगाल : पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और मजबूत हुई है. बंगाल का लाल किला ध्वस्त करनेवाली ममता बनर्जी की पार्टी को आम चुनावों में 20-28 सीटें मिलने की उम्मीद है. वामदलों की स्थिति में गिरावट देखी जा रही है. वर्ष 2009 में उसे 15 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार सात से 13 सीटें मिलने की उम्मीद दिख रही है. कांग्रेस, जिसने छह सीटें जीती थीं, हो सकता है शून्य पर आ जाये. उसे अधिकतम दो सीटें मिलती दिख रही हैं. अन्य को पिछले चुनावों में दो सीटें मिली थीं. इस पर उसे कोई सीट मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है. हालांकि, मोदी पीएम की रेस में आगे हैं.

झारखंड : झारखंड की 14 सीटों पर होनेवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 40 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोरचा और बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोरचा को क्रमश: आठ और सात फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. अधिकांश लोगों का मानना है कि बाबूलाल मरांडी प्रदेश के सबसे बेहतर सीएम साबित हुए. अजरुन मुंडा को 14 फीसदी लोगों ने पसंद किया. गत लोकसभा चुनाव से तुलना करें, तो भाजपा को इस बार 12 फीसदी वोटों का फायदा हो रहा है, तो कांग्रेस को पांच फीसदी. झामुमो को चार फीसदी वोटों का नुकसान होता दिख रहा है. अन्य को सबसे ज्यादा 13 फीसदी नुकसान होता दिख रहा है. यहां सर्वे में शामिल 51 फीसदी लोग कांग्रेस-झामुमो गंठबंधन सरकार से बेहद नाराज हैं. इनमें 25 फीसदी ने प्रदेश की बदहाली के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है, तो 14 फीसदी लोगों ने भाजपा को. भाजपा के वोटर चाहते हैं कि पार्टी जेवीएम से गंठबंधन करे, जबकि कांग्रेस और झामुमो के वोटर चाहते हैं कि उनका गंठबंधन जारी रहे. दूसरी ओर, जेवीएम के समर्थक चाहते हैं कि पार्टी जदयू से तालमेल करे.

बिहार: भाजपा की लोकप्रियता के बावजूद विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता नीतीश कुमार पर अधिक भरोसा किया. लेकिन, लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार जून, 2013 में भाजपा से नाता तोड़ने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उनकी सरकार से 59 फीसदी लोग संतुष्ट हैं, फिर भी आम चुनाव में वोट भाजपा के पक्ष में करेंगे.

सीएनएन-आइबीएन के लिए सीएसडीएस ने जो सर्वे किया है, उसके मुताबिक, मोदी की लहर में जदयू, राजद और कांग्रेस की दाल नहीं गलनेवाली. चैनल के कार्यक्रम ‘लोकनीति-आइबीएन नेशनल ट्रैकर’ में बताया गया कि भाजपा के वोट शेयर के साथ-साथ सीटों में भी जबरदस्त इजाफा होता दिख रहा है. वर्ष 2009 के मुकाबले भाजपा को वर्ष 2014 में 25 फीसदी अधिक वोट मिलता दिख रहा है. उसे 16 से 24 सीटें मिल सकती हैं. सत्ताधारी पार्टी जदयू को चार फीसदी वोट के नुकसान के साथ सात से 13 सीटें मिलती दिख रही हैं. राजद को वोट तो कम मिलेंगे, लेकिन उसकी सीटें बढ़ कर 10 तक पहुंच सकती हैं. निर्दलीय और अन्य के वोट शेयर में भारी कमी होने का अंदेशा जताया गया है. चारा घोटाला में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को जेल की सजा मिलने के बाद लोगों में उनके प्रति सहानुभूति जगी है. सर्वे में शामिल आधे से अधिक लोगों ने कहा कि लालू को चारा घोटाले की बहुत सजा मिल चुकी है. वहीं, लोग केंद्र की यूपीए सरकार से त्रस्त हैं और उन्हें सबक सिखाना चाहते हैं. लोगों ने कहा कि महंगाई और भ्रष्टाचार ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है.

ओड़िशा : ओड़िशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी पार्टी से अधिक लोकप्रिय हैं. विधानसभा चुनावों में वह जीत का चौका लगाने की ओर बढ़ रहे हैं. लोकसभा में भी उनकी पार्टी 21 में से 10-16 सीटों पर जीतती नजर आ रही है. मुख्य विपक्षी पार्टी को तीन से नौ सीटें मिल सकती हैं, तो भाजपा को अधिकतम चार सीटें मिलती दिख रही हैं. लोकसभा में महज 30 फीसदी वोट पाती दिख रही बीजद विधानसभा में 49 फीसदी वोट पाकर क्लीन स्वीप कर सकती है. यहां कांग्रेस और भाजपा को करमश: 28 और 13 फीसदी वोट मिल सकते हैं. अन्य को एक से नौ फीसदी के बीच वोट मिल सकता है. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में बीजद को 37 फीसदी वोट मिले थे.

असम : असम कांग्रेस के लिए अच्छी खबर लेकर आया है. यहां कांग्रेस को 2009 की 35 फीसदी की तुलना में 2014 के आम चुनाव में 47 फीसदी वोट मिल सकते हैं. यहां भाजपा को भी तीन फीसदी वोट का फायदा होता दिख रहा है. यहां असम गण परिषद का वोट प्रतिशत तेजी से गिरा है. उसे महज नौ फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. वर्ष 2009 में उसे 15 फीसदी वोट मिले थे. सर्वे में शामिल 50 फीसदी लोग तरुण गोगोई सरकार से संतुष्ट हैं. हालांकि, 37 फीसदी लोग असंतुष्ट भी हैं. यहां 59 फीसदी लोग केंद्र सरकार के कार्यो से संतुष्ट हैं. यहां आम आदमी पार्टी का भी कोई असर नहीं है. महज 35 फीसदी लोग इस नयी पार्टी के बारे में जानते हैं.

‘आप’ का असर
झारखंड

63 फीसदी लोग पार्टी के बारे में जानते हैं

47 फीसदी चाहते हैं कि पार्टी उनके संसदीय सीट से प्रत्याशी खड़ा करे

22 फीसदी लोग आम आदमी पार्टी को वोट देने के पक्ष में हैं

बिहार

50 फीसदी लोग पार्टी के बारे में जानते हैं

39 फीसदी चाहते हैं कि पार्टी उनकी संसदीय सीट से पार्टी चुनाव लड़े

22 फीसदी लोग ‘आप’ को वोट देंगे

ओड़िशा

50% लोग पार्टी के बारे में जानते हैं

एक तिहाई लोग चाहते हैं कि पार्टी उनके संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी खड़ा करे

12% लोग पार्टी को वोट देना चाहते हैं

पश्चिम बंगाल

एक तिहाई लोग जानते हैं ‘आप’ के बारे में

20 फीसदी से कम लोग चाहते हैं कि पार्टी उनकी संसदीय सीट से चुनाव लड़े

10 फीसदी लोग ही आम आदमी को वोट देने के पक्ष में

बिहार (40 सीटें)

वोट शेयर

पार्टी 2009 2014 घट-बढ़

जदयू 24% 20% -4

भाजपा 14% 39% +25

राजद 19% 15% -4

कांग्रेस 10% 11% +1

अन्य 33% 15% -18

ओड़िशा (21 सीटें)

पार्टी2009 2014 घट-बढ़

बीजद 37% 33% -4%

कांग्रेस 33% 31% -2%

भाजपा 17% 25% +8%

अन्य 13% 11% -2%

पश्चिम बंगाल (42 सीटें)

पार्टी2009 2014

तृणमूल 19 20-28

वामदल 15 7-13

कांग्रेस 06 0-2

अन्य 02 00

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