कोलकाता. ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे की अधीनस्थ संस्था इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी) के भारत तीर्थ परियोजना के तहत दक्षिण भारत में भ्रमण के लिए चिटफंड कंपनी सारधा के साथ समझौते के कागजात गुरुवार को सीबीआइ को सौंप दिये गये.
मामले को लेकर रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के साथ रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बैठक की. बैठक में दोनों कंपनियों के बीच पूर्व में हुए समझौते पर चर्चा हुई. इसके बाद समझौते के कागजात सीबीआइ को सौंपने का निर्णय लिया गया. गौरतलब है कि आइआरसीटीसी ने भारत तीर्थ नामक इस परिसेवा से पूरे देश के ऐतिहासिक शहरों के 16 रूटों पर भ्रमण के लिए पैकेज शुरू किया था. इस परियोजना में दक्षिण भारत के भ्रमण के लिए ऑफिशियल पार्टनर सारधा की कंपनी को बनाया गया था. 2010 में आइआरसीटीसी और सारधा टूर एंड ट्रैवेल्स के बीच समझौता हुआ था.
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तब केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री थीं. रेल मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आइआरसीटीसी के समझौते दो श्रेणी में हैं. समझौते के लिए शर्त है कि कंपनी पांच वर्ष या इससे अधिक पुरानी हो. ऐसी कंपनी को ए श्रेणी में रखा जाता है.
बी श्रेणी में ऐसी कंपनी होती है, जो तीन वर्ष या उससे अधिक पुरानी हो. रेल अधिकारियों का कहना है कि सारधा टूर एंड ट्रेवेल्स कंपनी इन दोनों में से किसी श्रेणी में नहीं थी. यह संभव है कि तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी को इसकी पूरी जानकारी न हो, लेकिन रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों को अवश्य ही इसकी जानकारी होगी या रेल मंत्री के नजदीकी किसी व्यक्ति ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है. रेल मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, संभव है कि रेलवे शीघ्र ही इस संबंध में विभागीय जांच शुरू करे.
फाइल में दर्ज तथ्यों के आधार पर ही कदम उठा सकता हूं : राज्यपाल
कोलकाता. करोड़ों रुपये के बहुचर्चित सारधा घोटाले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं का नाम सामने आने के बाद राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने एक अंगरेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने इसके बारे में अखबारों में पढ़ा जरूर है, पर उनके सामने किसी ने भी इस मामले को अब तक पेश नहीं किया है. कोई भी एजेंसी उनके पास नहीं है. इसलिए इस मुद्दे पर न तो वह कोई कदम उठा सकते हैं और न ही प्रतिक्रिया दे सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि वह सिर्फ फाइल में दर्ज तथ्यों के आधार पर ही कुछ कर सकते हैं. वह फाइल में लिखे हुए पर ही कोई कदम उठा सकते हैं.
आइआरसीटीसी का कहना है
आइआरसीटीसी की ओर से जारी बयान में स्वीकार किया गया है कि सारधा समूह के साथ उनका समझौता हुआ था, लेकिन सारधा समूह की कंपनी टूर एंड ट्रेवल्स एजेंट के रूप में काम करती थी. कुल 185 लोगों की यात्र की व्यवस्था उस कंपनी ने की थी. आइआरसीटीसी की ओर से कोई अतिरिक्त सुविधा सारधा समूह को नहीं दी गयी थी.
अधीर ने ममता से मांगा इस्तीफा
कांग्रेस ने सारधा घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है. राज्य के इस सबसे चर्चित घोटाले में यह आरोप सामने आने के बाद कि सारधा ग्रुप को रेलवे के आइआरसीटीसी से अनुबंध दिलाने में उसका पक्ष लिया गया था, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने गुरुवार को मांग की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सारधा घोटाले की जांच पूरी होने तक अपने पद से इस्तीफा दे दें.
यूपीए सरकार में रेल राज्यमंत्री रहे श्री चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह देखा जाना है कि अनुबंध कब किया गया है, क्योंकि वर्ष 2009 से लेकर 2012 के मध्य तक रेल मंत्रलय तृणमूल कांग्रेस के पास था. ममता बनर्जी स्वयं 2009 से मई 2011 तक रेल मंत्री थीं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की प्रतीक के रूप में पेश करती हैं. यदि वह वाकई ईमानदार हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और सारधा जांच में सहयोग करना चाहिए. श्री चौधरी ने अपनी मांग ऐसे समय में उठायी है, जब सभी विपक्षी दल यह आरोप लगा रहे है कि आइआरसीटीसी से अनुबंध दिलाने में सारधा ग्रुप का पक्ष लिया गया.
कुणाल से फिर होगी पूछताछ
दूसरी ओर, सीबीआइ तृणमूल सांसद कुणाल घोष को फिर से हिरासत में लेने के लिए छह सितंबर को अदालत में अपील करेगी. सीबीआइ कुणाल घोष से इस समझौते व सुश्री बनर्जी तथा तृणमूल कांग्रेस के सांसद व राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय के अधिकारिक दौरे के दौरान मार्च 2012 में दाजिर्लिंग के कालिम्पोंग में सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन के साथ बैठक के संबंध में विस्तृत पूछताछ करेगी. कुणाल घोष ने पिछले वर्ष नवंबर में गिरफ्तार होने के दो दिन के बाद जारी सीडी में सुदीप्त सेन के साथ सुश्री बनर्जी की बैठक का आरोप लगाया था तथा अपनी गिरफ्तारी को गलत बताया था.