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चिटफंड: दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं निवेशक

कोलकाता संवाददाता – पुलिस दर्ज नहीं कर रही है एफआइआर – 70 हजार से अधिक लोगों को थाने से लौटाया सिलीगुड़ी: चिटफंड कंपनियों द्वारा प्रताडि़त निवेशकों तथा एजेंटों के संगठन उत्तर बंग अमानतकारी सुरक्षा समिति ने पुलिस पर एफआइआर दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया है. संगठन के अध्यक्ष अलकेश चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से बातचीत […]

कोलकाता संवाददाता

– पुलिस दर्ज नहीं कर रही है एफआइआर
– 70 हजार से अधिक लोगों को थाने से लौटाया
सिलीगुड़ी: चिटफंड कंपनियों द्वारा प्रताडि़त निवेशकों तथा एजेंटों के संगठन उत्तर बंग अमानतकारी सुरक्षा समिति ने पुलिस पर एफआइआर दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया है. संगठन के अध्यक्ष अलकेश चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि चिटफंड कंपनियों के पीडि़त निवेशक तथा एजेंट जिस थाने में भी मामला दर्ज कराने जाते हैं वहां से उन्हें लौटा दिया जाता है. परिणामस्वरूप ऐसे निवेशक इंसाफ पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान उत्तर बंगाल के विभिन्न थानों में शिकायत दर्ज कराने गये 70 हजार से भी अधिक लोगों को पुलिस ने खाली हाथ लौटा दिया है. उन्होंने बताया कि जो भी निवेशक थाने में मामला दर्ज कराने जाते हैं उन्हें एजेंटों को पकड़ने के लिए कहा जाता है. इससे चिटफंड कंपनियों के निवेशकों एवं एजेंटों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसकी वजह से आये दिन निवेशकों द्वारा किसी न किसी एजेंटों के साथ मार-पीट की जाती है. कई एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं और कई निवेशकों के डर से अपना घर-द्वार छोड़कर फरार हो गये हैं.
श्री चक्रवर्ती ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस किसी भी मामले की जांच नहीं कर रही है. कोर्ट में चार्जशीट तक पुलिस दाखिल नहीं कर रही है. उन्होंने एक चिटफंड कंपनी सुमंगल का उदाहरण देते हुए कहा कि सिलीगुड़ी की अदालत में सुमंगल कंपनी की निदेशक मधुमिता अधिकारी के खिलाफ केश नंबर 910/13 के तहत कार्रवाई की जा रही है. सुमंगल ने निवेशकों के करोड़ों रुपये डकारे हैं. सैकड़ों निवेशकों ने सुमंगल कंपनी के खिलाफ थाने में एफआइआर दर्ज कराया है लेकिन अदालत में सिर्फ एक ही केश के मामले में उनकी पेशी की गई है. जिसकी वजह से उसके खिलाफ कार्रवाई हो पाना संभव नहीं है.
पुलिस जांच में ढिलाई का पता इसी से लगता है कि मधुमिता अधिकारी को कोलकाता से लाकर सिलीगुड़ी की अदालत में पेशी की गई, लेकिन पुलिस ने उनको रिमांड पर नहीं लिया. स्वाभाविक तौर पर पुलिस पूरे मामले की लिपापोती में लगी हुई है. उन्होंने राज्य तथा केन्द्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना था कि चिटफंड कंपनियों के जाल में करीब 15 लाख से अधिक लोग फंसे हैं. इस इलाके में कार्यरत करीब 126 कंपनियों पर 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की देनदारी है.

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