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मोबाइल टावर लगाने के नाम पर कई लोगों को चूना

कोलकाता : पिछले कुछ माह से महानगर से सटे साॅल्टलेक, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर समेत बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टावर लगाने के नाम पर ठगी करनेवाले गिरोह मुख्य रूप से सक्रिय है. पांच माह पहले ही विवेकानंद रोड स्थित रामकरन भुवालका नामक एक व्यवसायी से लाखों की ठगी की गयी. इसी तरह से पूर्व […]

कोलकाता : पिछले कुछ माह से महानगर से सटे साॅल्टलेक, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर समेत बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टावर लगाने के नाम पर ठगी करनेवाले गिरोह मुख्य रूप से सक्रिय है. पांच माह पहले ही विवेकानंद रोड स्थित रामकरन भुवालका नामक एक व्यवसायी से लाखों की ठगी की गयी. इसी तरह से पूर्व मेदिनीपुर के स्वदेश बेरा, पश्चिम मेदिनीपुर के मनोरंजन मंडल से भी एक लाख से लेकर पांच लाख तक की जालसाजी की गयी है. इसकी शुरुआत साॅल्टलेक से हुई. पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है.
जैसा ग्राहक वैसा झांसा
पुलिस का कहना है कि पांच माह पहले रामकरण भुवालका को मोबाइल कंपनी की ओर से टावर लगाने की बात कहकर फोन पर संपर्क किया गया था. सारी प्रक्रिया के लिए तैयार होने के बाद उन्हें 35 हजार महीने और एक साथ 20 लाख रुपये देने का झांसा दिया था. फिर उनसे प्रोसेसिंग फीस के तौर पर साढ़े चार लाख रुपये ले लिये गये थे. बाद में उन्हें ठगी का एहसास हुआ.
दफ्तर पहुंचने पर हुआ ठगी का एहसास
इधर कंपनी द्वारा कहे रुपये व्यक्ति के अकाउंट में नहीं आने पर वह उक्त साॅल्टलेक के सेक्टर पांच स्थित कंपनी के दफ्तर में गये, तो पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है. पता चला कि उक्त कंपनी की ओर से ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है. इसी तरह से बंगाल के विभिन्न जगहों पर लोग जालसाजी के शिकार हो रहे हैं.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
विधाननगर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस गिरोह के बारे में कुछ तथ्य मिले है. मुख्य रूप से साॅल्टलेक के सेक्टर पांच से विभिन्न हिस्सों में नेटवर्क फैलाकर यह गिरोह लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इसके लिए यह गिरोह कुछ विशेषज्ञ आइटी सेल की मदद से वेबसाइट बनाकर लोगों को अपनी जाल में फंसाकर ठगी कर रहे हैं. विधाननगर के साइबर सेल में हाल ही में इस तरह की शिकायत भी दर्ज करायी गयी है.
कैसे करते हैं जालसाजी
पुलिस के मुताबिक यह मोबाइल संस्था के नाम से टावर लगाने का झांसा देकर उसके बदले में लाखों-लाखों रुपये का ऑफर दिया करते हैं. व्यक्ति की जमीन पर टावर लगाने के लिए उसे मिलनेवाले लाभ के बारे में पूरी तरह से समझाते हैं और फिर महीने के 30 से 35 हजार रुपये देने और एकसाथ मोटी रकम के तौर पर 15 लाख से 20 लाख देने का झांसा देते हैं. फिर इसके बदले में प्रोसेसिंग फीस के तौर पर लाखों रुपये पहले लेकर गायब हो जाते हैं.

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