UP News : उत्तर प्रदेश में शिक्षक बनने के नियमों को लेकर बड़ी हलचल शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीईटी (Teacher Eligibility Test) को अनिवार्य बनाने के आदेश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को साफ निर्देश दिए हैं कि इस पर रिवीजन याचिका दाखिल की जाए. योगी ने कहा कि प्रदेश में वर्षों से सेवा दे रहे हजारों शिक्षक अनुभव और योग्यता से परिपूर्ण हैं. उनके दशकों के योगदान को सिर्फ एक परीक्षा के आधार पर नकारा नहीं जा सकता.
क्या कहा मुख्यमंत्री ने?
मुख्यमंत्री ने साफ कहा, “अनुभवी शिक्षकों की सेवाओं को दरकिनार करना न्यायसंगत नहीं होगा.” उन्होंने कहा, “समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का अवसर दिया गया है. ऐसे में उनकी योग्यता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता.”
क्यों बढ़ा विवाद?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि शिक्षक नियुक्ति के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य है. इस आदेश से उन शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया जो लंबे समय से बिना टीईटी के कार्यरत हैं. प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की संख्या हजारों में है. जो वर्षों से सेवा दे रहे हैं.
सरकार का तर्क
-UP सरकार का कहना है कि रिवीजन दाखिल करने से पहले यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि RTE एक्ट 2009 की धारा 23(2) का संशोधन उन शिक्षकों पर लागू नहीं होना चाहिए जो इस कानून के लागू होने से पहले नियुक्त किए गए थे. ऐसे शिक्षकों को अनुभव और प्रशिक्षण के आधार पर मान्यता मिलनी चाहिए.
यह फैसला सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं. बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और हजारों परिवारों के भविष्य से जुड़ा है. अगर सरकार की दलीलें अदालत में टिकती हैं. तो बड़ी संख्या में शिक्षक राहत की सांस लेंगे. वहीं, यह कदम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी अहम साबित हो सकता है. क्योंकि शिक्षक वर्ग प्रदेश की सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक है.

