मथुरा : जवाहर बाग में हुई हिंसा के बाद जांच कर रही बम डिस्पोजल स्क्वॉयड (बीडीएस) के हाथ यूएसए में बना रॉकेट लॉन्चर लगा है जिसके बाद से प्रशासन सकते में है. इस लॉन्चर पर जेइएफएफइआरएसओएसओएच-1044047 नंबर अंकित है. 4 जून को मामले में केस दर्ज किया गया था जिसमें इसका जिक्र है, लेकिन उस वक्त पुलिस की ओर से केवल गोला-बारूद होने की बात कही गई थी.
जवाहर बाग में 2 जून को हुई हिंसक घटना के बाद मथुरा पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया था जिसमें उन्हें यहां बीडीएस और फॉरेंसिक टीम ने 2.5 kg गन पाउडर, 5 kg गंधक, 1 kg पोटास, 1 इलेक्ट्रॉनिक प्लेट और 0.5 kg लोहे के छर्रे मिले थे. अब पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि बरामद गोलाबारुद में एक यूएसए में बना रॉकेट लॉन्चर भी शामिल है.
क्या है मामला
2 जून को मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस और दंगाईयों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी व एसएचओ संतोष यादव सहित 29 लोगों की मौत हो गयी जबकि कई पुलिस वाले जख्मी हैं. इस झड़प में दंगाइयों ने पुलिस पर राइफल, हथगोला आदि से हमला किया था जिससे यह बात सामने आयी है कि दंगाईयों ने हिंसा का पूरा सामान अपने साथ रखा हुआ था. हिंसा के बाद पुलिस में घटनास्थल से बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं. इस पूरे मामले का प्रमुख रामवृक्ष यादव नाम का एक शख्स है जो गाजीपुर का रहना वाला है. बाद में पुलिस ने इसके मारे जाने की पुष्टि की.
कब्जा बना हिंसा का कारण
रामवृक्ष 15 मार्च 2014 में करीब 200 लोगों के साथ मथुरा आया था और इसने प्रशासन से यहां रहने के लिए दो दिन का वक्त लिया था लेकिन उसने बाद में इलाके में कब्जा करना शुरू किया. शुरुआत में उसने यहां एक छोटी सी झोपड़ी बनायी जिसमें वह रहने लगा. धीरे-धीरे उसके नेतृत्व में यहां पर और झोपड़ियां बनने लगी जिसके बाद उसने 270 एकड़ में अपनी सत्ता स्थापित कर ली. इन दो वर्षो में वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसके सामने बौना साबित होने लगा.
कई मुकदमे दर्ज थे रामवृक्ष पर
हिंसा के मुख्य दोषी मृतक रामवृक्ष यादव पर मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक रामवृक्ष पर 10 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं. इन मामलों में पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा करना प्रमुख है. विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता ने कब्जे के मामले को कोर्ट तक पहुंचाया तब जाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करने का आदेश दिया था. कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ रामवृक्ष यादव भी कोर्ट पहुंचा लेकिन उसकी याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना उसपर लगाया. लगातार तीन दिन से पुलिस इस जगह को खाली करने के संबंध में अनाउंसमेंट करती रही जिसके बाद रामवृक्ष शूटरों और अपराधियों को अपने कैंप में रखने लगा. कैंप में हैंड ग्रेनेड, हथगोला, रायफल, कट्टे, कारतूस छिपाकर जुटाए गए थे.