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JNU छात्रसंघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी राजनीतिक षड्यंत्र : मायावती

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष की ‘देशद्रोह’ के आरोप में गिरफ्तारी को राजनीतिक षड्यंत्र करार देते हुए केंद्र सरकार पर दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाया. मायावती ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घोर कट्टरवादी […]

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष की ‘देशद्रोह’ के आरोप में गिरफ्तारी को राजनीतिक षड्यंत्र करार देते हुए केंद्र सरकार पर दोहरे मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाया. मायावती ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घोर कट्टरवादी और अत्यन्त आक्रामक एजेण्डा लागू करके जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को एक झटके में देशविरोधी और देशद्रोही करार दे दिया है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया जबकि वीडियो फुटेज में उसे कहीं भी भारत विरोधी नारेबाजी करते हुए नहीं देखा गया है. उसकी गिरफ्तारी एक राजनीतिक षड्यंत्र लगती है. उन्होंने सवाल किया कि एक तरफ तो केंद्र की भाजपा सरकार संसद पर हमले के जुर्म में फांसी की सजा पाये अफजल गुर को शहीद बताने और उसके समर्थन में कार्यक्रम आयोजित करने वालों को देशद्रोही बताकर गिरफ्तार कर रही है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा जम्मू-कश्मीर में उसी पार्टी के साथ फिर से गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशों में जी-जान से जुटी है, जिसने अफजल गुर को शहीद बताया था और उसकी फांसी का विरोध किया था। क्या भाजपा बतायेगी कि यह उसकी कैसी देशभक्ति और कैसा पैमाना है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने विरोधियों को देशद्रोही घोषित करने का एक नया कानूनी हथियार आजमाना शुरु कर दिया है. मायावती ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जेएनयू को बरबाद करने पर तुली है. पूरी दुनिया में ख्याति रखने वाले जेएनयू पर देशविरोधी गतिविधियों का केंद्र होने का इल्जाम लगाकर बदनाम करने का उच्च स्तर पर सरकारी प्रयास किया गया है, यह अत्यन्त दुखद और निन्दनीय है. उन्होंने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिये मजबूर करने से लेकर जेएनयू प्रकरण तक जिस तरह से केंद्रीय मंत्री या केंद्रीय मंत्रालय की नकारात्मक भूमिका उजागर हुई है, वह काफी खतरनाक चलन की तरफ इशारा करती है.

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