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अखिलेश यादव ने शिक्षामित्रों से धैर्य बनाये रखने की अपील की

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उच्च न्यायालय द्वारा सहायक शिक्षक के पद पर हुए समायोजन को निरस्त कर दिये जाने से हताश और आंदोलित शिक्षामित्रों को धैर्य बनाये रखने की अपील करते हुए भरोसा दिलाया है कि सरकार उनकी समस्या के समाधान का कोई न कोई उपाय करेगी. अखिलेश ने आज […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उच्च न्यायालय द्वारा सहायक शिक्षक के पद पर हुए समायोजन को निरस्त कर दिये जाने से हताश और आंदोलित शिक्षामित्रों को धैर्य बनाये रखने की अपील करते हुए भरोसा दिलाया है कि सरकार उनकी समस्या के समाधान का कोई न कोई उपाय करेगी.

अखिलेश ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, उच्च न्यायालय का निर्णय आने के दिन ही विभागीय मंत्री और मुख्य सचिव ने प्रदेश सरकार का दृष्णिकोण स्पष्ट कर दिया था और आश्वस्त किया था कि अदालत के निर्णय के परीक्षण के बाद कोई रास्ता निकाला जायेगा.
उन्होंने कहा, जो नियम कानून जरुरी होगे बनाये जायेंगे और देखा जायेगा कि अन्य राज्यों में बिना टीईटी पास किये नियुक्तियों के बारे में क्या हुआ है. सरकार हर पहलु को ध्यान में रखकर कोई रास्ता निकालेगी.
प्रदेश सरकार की तरफ से सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रास्ता निकालने का भरोसा दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने कन्नौज में एक शिक्षामित्र के आत्महत्या कर लेने की घटना का जिक्र करते हुए कहा, मैं सभी शिक्षामित्रों से यह कहना चाहता हूं कि वे आंदोलित न हो. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले भी शिक्षामित्रों की मदद की है और आगे भी करेगी.
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गत शनिवार को राज्य सरकार को तगडा झटका देते हुए प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजन निरस्त करने के आदेश दिये थे.
सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को रद्द करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के विरोध में शिक्षामित्रों कल प्रदेश के विभिन्न प्राथमिक पाठशालाओं में तालाबंदी की और हाथों में काली पट्टी बांधकर जिलाधिकारी तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी की.
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ तथा शिक्षामित्र वेलफेयर संघ के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को संयुक्त रुप से भेजे गये ज्ञापन में कहा है कि प्राथमिक पाठशालाओं में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन के जरिये उन्हें नौकरी मिली थी, जिस पर उनके पूरे परिवार का भरण-पोषण निर्भर था। अब उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है, लिहाजा उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत दी जाए.
समायोजन निरस्त होने के कारण प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों के सामने आजीविका की समस्या खडी हो गयी है, इसलिए भी कि ज्यादातर शिक्षामित्रों की उम्र सरकारी नौकरी पाने लिये निर्धारित आयु से ज्यादा हो चुकी है.

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