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भाजपा को आठ महिला प्रत्याशियों पर बड़ा भरोसा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा 74 प्लस के मिशन को पूरा करने में जुटी है. राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल को दिया है. इस मिशन में उसे उन आठ महिलाओं पर भी भरोसा है, जिन्हें उसने चुनाव मैदान में उतारा है. […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा 74 प्लस के मिशन को पूरा करने में जुटी है. राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल को दिया है. इस मिशन में उसे उन आठ महिलाओं पर भी भरोसा है, जिन्हें उसने चुनाव मैदान में उतारा है. इनमें मेनका गांधी, रीता बहुगुणा जोशी, रेखा वर्मा, संघमित्रा मौर्य, निरंजन ज्योति, हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी और जया प्रदा शामिल हैं.

धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा पर भाजपा ने एक बार फिर भरोसा जताया है. रेखा वर्मा ने 2014 में पति अरुण वर्मा के देहावसान के बाद राजनीति में कदम रखा और पहली बार में ही सांसद चुनी गयी थीं.
संघमित्रा मौर्य मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं और बदायूं से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं, निरंजन ज्योति फतेहपुर से, हेमा मालिनी मथुरा से और जया प्रदा रामपुर से भाजपा की उम्मीदवार हैं.
रीता को भाजपा के टिकट से कांग्रेस में खलबली
लोस चुनाव में इलाहाबाद सीट पर कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं की निष्ठा पर सवाल खड़े किये जाने लगे हैं. पार्टी की जिम्मेदारी से जुड़े कुछ नेताओं पर रीता के संपर्क में रहने और उनके चुनाव प्रचार का हिस्सा बनने का आरोप है.
मेनका गांधी का सुलतानपुर से है पुराना रिश्ता
भाजपा ने इस बार सुलतानपुर लोकसभा सीट से मेनका गांधी को उतारा है. मेनका गांधी ने कहा है कि सुलतानपुर से उनका पुराना रिश्ता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पार्टी ने कहा, तो वह अमेठी में भी चुनाव प्रचार करेंगी. शनिवार को सुलतानपुर पहुंचीं मेनका गांधी ने कहा कि उनके पति संजय गांधी की कर्मभूमि सुलतानपुर ही थी.
गौरतलब है कि 2014 में मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी सुलतानपुर से चुनाव लड़े थे और जीते भी थे. इस बार वरुण को पीलीभीत भेजा गया है और उनकी जगह पर मेनका गांधी चुनाव लड़ रही हैं. मेनका गांधी ने कहा, 23 साल की उम्र में मैं विधवा हुई, मेरा बेटा उस समय 100 दिन का था, उसके बाद मैंने सेवा करने का रास्ता चुना.
स्मृति के लिए जमीन तैयार करने में संघ भी सक्रिय
भाजपा ने स्मृति ईरानी को अमेठी सीट से दोबारा उतारा है. यहां से राहुल गांधी सांसद हैं और यह कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. कांग्रेस को इस सीट से उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा ने स्मृति ईरानी पर न केवल भरोसा किया है, बल्कि यहां उनकी जमीन मजबूत करने में आरएसएस भी रणनीति बनाने में जुटा रहा है. संघ का पिछले पांच सालों से अमेठी के गांव-गांव में पहुंचने का सिलसिला जारी है. यहां मजबूत पकड़ बनाने के लिए संघ ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही कवायद शुरू कर दी थी. यहां करीब 250 संघ की शाखाएं संचालित हो रही हैं. लोस चुनाव में राहुल को उनके ही घर में मात देने के लिए और स्मृति ईरानी की जमीन मजबूत करने के लिए संघ के नेता और कार्यकर्ता दिन लगातार प्रयासरत और गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं.
शिलांग : मेघालय की तुरा सीट के लिए मैदान में उतरी अगाथा संगमा को उम्मीद है कि इलाके के लोग उनके पिता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा को भूले नहीं हैं. अगाथा राज्य में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की प्रत्याशी हैं. उनके पिता ने ही पार्टी की स्थापना की थी.
अगाथा 2009 में सांसद बनीं और यूपीए सरकार में मंत्री भी बनीं. इस बार इस सीट पर उनका मुकाबला विस में विपक्ष के नेता व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम मुकुल संगमा से है. इस सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होना है.
नौ बार तुरा से जीते थे पीए संगमा : 1977 में तुरा सीट अस्तित्व में आयी. इसके बाद पीए संगमा नौ बार यहां से चुनाव लड़े और हर बार जीते.
पिता की विरासत याद दिलाती पुत्री : तुरा क्षेत्र के तहत आने वाले गारो पर्वतीय इलाके के पांच पहाड़ी जिलों में प्रचार के दौरान अगाथा, उनके भाई व सीएम कोनराड संगमा और गृह मंत्री जेम्स संगमा लोगों को पिता की विरासत व उनके विकास कार्यों की याद दिला रहे हैं.
अगाथा कहती हैं कि वह इलाके के लोगों की सेवा करने आई हैं और उम्मीद है कि लोग अब तक उनके पिता को भूले नहीं हैं. पीए संगमा के निधन के बाद 2016 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में कोनराड संगमा जीते थे.
कांग्रेस कर रही परिवार पर प्रहार, जुबानी जंग तेज
मेघालय कांग्रेस अध्यक्ष सी लिंग्दोह कहते हैं कि गारो संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए मुकुल संगमा सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं. वह दस साल मुख्यमंत्री रहे हैं. अब दोनों दावेदारों के बीच जुबानी जंग भी तेज हो रही है.
कांग्रेस उम्मीदवार मुकुल आरोप लगाते हैं कि अगाथा सांसद थीं तो इलाके की समस्याएं सदन में नहीं उठाती थीं. क्या मतदाताओं ने उन्हें छुट्टी मनाने के लिए दिल्ली भेजा था? लोग तथ्य और विकास देखना चाहते हैं. अब संगमा परिवार के झूठ पर उनका भरोसा नहीं रहा.
तेलंगाना : केसीआर की बेटी कविता पर उल्टा पड़ा दांव
हैदराबाद. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और निजामाबाद से सांसद कल्वकुंतला कविता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ एक दाव खुद पर भारी पड़ रहा है. कविता तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रत्याशी के रूप में फिर चुनाव मैदान में हैं.
उन्होंने हाल में एक जनसभा में अपील की थी कि मोदी और राहुल के खिलाफ एक हजार किसान पर्चा भरकर मोर्चा संभालें, ले​किन 245 किसानों ने कविता के खिलाफ ही नामांकन दाखिल कर दिया है. ये सभी किसान निजामाबाद क्षेत्र में हल्दी की खेती करते हैं.
कविता ने किसानों से मोदी व राहुल के खिलाफ इसलिए नामांकन भरने का आग्रह किया था, ताकि उन्हें किसानों की समस्याओं का अहसास हो सके. वहीं जिन किसानों ने कविता के खिलाफ नामांकन भरा है, उनका आरोप है कि केसीआर सरकार उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही. कविता के खिलाफ एक हजार किसानों के नामांकन भरने की योजना थी. नामांकन के आखिरी दिन कई किसान लंबी कतार में खड़े हुए.

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