महाकुंभ के बाद आखिर धीरे-धीरे महाकुंभ क्षेत्र की रोशनी आखिर गायब सी होती दिख रही है. जहां कभी रोशनी ही रोशनी और लोगों के कदम रखने के लिए जगह नहीं हुआ करती थी आज वह महाकुंभ क्षेत्र वीरान सा होता दिख रहा है. महाकुंभ के समाप्त होते ही गंगा पथ की लाइटें बंद कर दी गईं हैं.जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही कम हो गई है एवं मार्ग पर गंदे पानी की भी समस्या हो रही है.
महाकुंभ में आने वाले अवध क्षेत्र के श्रद्धालुओं की राह आसान करने वाला गंगा पथ अब अंधेरे में डूब गया है.महाकुंभ में चमकने वाले गंगा पथ की सारी लाइटें खोल ली गई हैं.अब सूर्यास्त के बाद गंगा पथ पर लोगों का आवागमन कम हो जाता है.समस्या खाली लाइट तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके अगल बगल गंदे पानी का तालाब सा बन गया है.महाकुंभ की शुरुआत में लगभग 7-8 किलो मीटर का मार्ग गंगा किनारे बनाया गया था.
अयोध्या,रायबरेली ,लखनऊ ,सीतापुर फैजाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ के लोगों के लिए संगम पहुंचना बेहद आसान हो गया था.इस मार्ग पर दूधिया कलर की लाइटें लगाई गई थीं जो कि इस मार्ग पर चार चांद लगाते नज़र आती थीं.महाकुंभ समाप्त होने के बावजूद रोज़ हज़ारों की संख्या में गाड़ियां गंगा पथ से आवागमन करती थीं.लाइटें खुल जाने के बाद अब सिर्फ लोग दिन में ही उस रास्ते से आवागमन करते हैं एवं वहां आस पास के लोग भी अंधेरा होने के कारण आवाजाही करना नहीं चाहते.
महाकुंभ समाप्त होने के बाद मार्ग किनारे साफ सफाई भी ठप सी हो गई है जिसके कारण गंदगी फैलने लगी है. सलोरी के सामने पथ किनारे शिवरलाइन एवं गंदा पानी इक्कठा होने के चलते बदबू भी आ रही है.
पथ किनारे लाइट खोले जाने के संबंध में उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के अधीक्षण अभियंता मनोज गुप्ता ने बताया कि लाइटें सिर्फ महाकुंभ के लिए लगाई गई थीं.सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता दिग्विजय नारायण शुक्ल ने बताया कि उनके विभाग को केवल मार्ग बनाने की जिम्मेदारी थी.