UP News : यूपी विधि आयोग (UP Law Commission) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल (Justice AN Mittal) ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) को जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के अंतिम मसौदे को सौंप दिया. आयोग ने बीते महीने जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे का ड्राफ्ट जारी कर लोगों से आपत्तियां और सुझाव मांगे गये थे.
आयोग के मुताबिक, साढ़े आठ हजार से अधिक लोगों ने ड्राप्ट पर अपने सुझाव दिए हैं. इसमें से 99.5 प्रतिशत लोग जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के पक्ष में हैं.
People who will not abide by this Bill will only get ration for upto 4 people including parents& their two children. Such people will also be barred from applying for govt jobs. They'll not be able to contest in civic bodies elections: UP Law Commission chairman Justice AN Mittal
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 16, 2021
यूपी विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने सीएम योगी को सौंपी अपनी रिपोर्ट के बारे में बताया, हमने हमने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का मसौदा पोस्ट करने के बाद लोगों से सुझाव मांगे. हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली. हमने सुझावों को शामिल करने का प्रयास किया.
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उन्होंने कहा कि जो लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं, वे अपने परिवार को 2 बच्चों तक सीमित रखें. जो लोग इस विधेयक का पालन नहीं करेंगे, उन्हें माता-पिता और उनके दो बच्चों सहित केवल 4 लोगों तक ही राशन मिलेगा. ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने से भी रोक दिया जाएगा. वे नगर निकाय चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
यूपी विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने कहा कि ये प्रतिबंध उन लोगों पर लागू होंगे, जिनके इस बिल के लागू होने के बाद दो बच्चे होंगे. अपनी रिपोर्ट में, हमने यह भी सिफारिश की है कि यह विधेयक विधान सभा से पारित होने के 1 साल बाद लागू होना चाहिए.
राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रदेश सरकार को सुझाव भी दिए हैं. इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसूति केंद्र खोलने, गर्भनिरोधक और कंडोम की व्यवस्था करने, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता पैदा करने की संस्तुति की गई है. इसके अलावा गर्भावस्था, प्रसूति, जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को पूरे प्रदेश में अनिवार्य करने की संस्तुति भी की गई है.
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जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे में साफ किया गया है कि यदि किसी दंपति के दो बच्चे हैं और दोनों दिव्यांग हैं तो वह तीसरे बच्चे को गोद ले सकते हैं. इसे कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. इसके अलावा, यदि किसी दंपति के दो बच्चे हैं और नौकरी लगने के बाद एक या दोनों बच्चों की मौत हो जाती है तो वह तीसरी संतान को जन्म दे सकते हैं.
Posted by : Achyut Kumar