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Noida Supertech Twin Towers: आखिर क्यों बारूद से उड़ाया जा रहा नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर, जानें सबकुछ

आस-पास की अन्य इमारतों में रहने वाले लोग अपने फ्लैट्स भी बारूद फोड़ने की तारीख यानी 28 अगस्त की सुबह 7 बजे तक खाली करके चले जाएंगे. शीर्ष अदालत ने पहले 21 अगस्त को उसी के लिए विध्वंस की तारीख तय की थी. यह पूरा मामला इतना पुराना है कि आज इसके बारे में एक बार फिर आपको जानने की जरूरत है.

Noida Supertech Twin Towers: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर्स को 28 अगस्त को जमींदोज कर दिया जाएगा. इसकी सारी तैयारी भी पूरी हो चुकी है. बारूद बिछ चुका है. आस-पास की अन्य इमारतों में रहने वाले लोग अपने फ्लैट्स भी बारूद फोड़ने की तारीख यानी 28 अगस्त की सुबह 7 बजे तक खाली करके चले जाएंगे. शीर्ष अदालत ने पहले 21 अगस्त को उसी के लिए विध्वंस की तारीख तय की थी. यह पूरा मामला इतना पुराना है कि आज इसके बारे में एक बार फिर आपको जानने की जरूरत है. सुपरटेक ट्विन टावर्स का निर्माण नोएडा के सेक्टर 93-ए में किया गया है.

अब तक क्या-क्या हुआ?

  • नवंबर 2004 में नोएडा ने एक हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण के लिए सेक्टर 93 ए में सुपरटेक को जमीन का एक भूखंड आवंटित किया था. इसे एमराल्ड कोर्ट के नाम से जाना जाता है. साल 2005 में न्यू ओखला औद्योगिक विकास क्षेत्र भवन विनियम और निर्देश, 1986 के तहत भवन योजना को मंजूरी दी गई थी. इसने बिल्डर्स को 37 मीटर की ऊंचाई के भीतर दस मंजिलों के साथ कुल 14 टावर बनाने की अनुमति दी थी.

  • जून, 2006 में सुपरटेक को उन्हीं शर्तों के तहत अतिरिक्त जमीन आवंटित की गई थी. दिसंबर 2006 में संशोधित नियमों के बाद, नई और संशोधित योजना को मंजूरी दी गई. इसमें अब टावर्स के लिए दो अतिरिक्त मंजिलों, दो और टावर्स और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण शामिल किया गया था. अधिकारियों ने अब 16 टावर्स और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को मंजूरी दी थी. 2009 तक 14 टावरों का निर्माण किया गया था.

  • अदालत के आदेशानुसार, 26 नवंबर 2009 और 2 मार्च 2012 को नोएडा द्वारा टी-16 और टी-17 के निर्माण के लिए दी गई मंजूरी एनबीआर 2006, एनबीआर 2010 के तहत न्यूनतम दूरी की आवश्यकता का उल्लंघन है. इसी के बाद मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया. शीर्ष अदालत ने यह भी देखा कि टी -16 और टी -17 का निर्माण यूपी अपार्टमेंट अधिनियम का उल्लंघन था, क्योंकि मालिकों ने फ्लैट मालिकों की सहमति नहीं ली थी. मंजूरी लेना अधिनियम के तहत अनिवार्य था. शीर्ष अदालत ने कहा कि इन जुड़वां टावरों के निर्माण से सामान्य क्षेत्र में कमी आई है.

  • शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि फ्लैट खरीदारों को सुपरटेक द्वारा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रिफंड मिलना था. यह भी नोट किया गया कि सुपरटेक को अवैध रूप से निर्मित टावरों के विध्वंस के लिए भुगतान करना होगा और सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. अंत में हर खामी पर विचार करते हुए कोर्ट ने 40 मंजिला ट्विन टावर्स के विध्वंस का आदेश दे दिया.

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