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Farmers Day 2022: चौधरी चरण सिंह की 120वीं जयंती आज, आसान नहीं था किसान से प्रधानमंत्री तक का सफर, पढ़ें

National Farmers Day 2022: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज यानी 23 दिसंबर को देशभर में 120वीं जयंती मनाई जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी को 'किसान दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं.

UP News: महान किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) की आज यानी 23 दिसंबर 2022 को देशभर में 120वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी को ‘किसान दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने बताया कि, शोषितों, वंचितों, उपेक्षितों और अन्नदाता किसान बंधुओं के कल्याण के लिए चौधरी चरण सिंह आजीवन संघर्षरत रहे. 

किसान परिवार में हुआ था चरण सिंह का जन्म

किसानों के मसीहा माने जाने वाले चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ जिले के नूरपुर में किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की और 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. कानून में प्रशिक्षित सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की. सिंह 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.

साल 1937 में की राजनीति में एंट्री

चौधरी चरण सिंह ने 1937 में राजनीति में कदम रखा. इस दौरान वे छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और फिर 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. सिंह 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया. जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया. बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने. अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था.

भाई-भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को नहीं करते थे बर्दाश्त

चरण सिंह बाद में सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे. इसके बाद सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे. उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया. कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. हालांकि प्रदेश में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. चरण सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे. प्रतिभाशाली सांसद एवं व्यवहारवादी चरण सिंह अपने वाक्पटुता एवं दृढ़ विश्वास के लिए जाने जाते हैं.

चरण सिंह को जाता है उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का श्रेय

उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का श्रेय देश के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को ही जाता है. उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि यूपी में मंत्रियों के वेतन और उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था. मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. यह अधिनियम जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके.

चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला. चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जीया. चरण सिंह को उन नेताओं के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए सादगी से अपना जीवन जीया. एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले चरण सिंह को यूहीं किसानों का मसीहा नहीं कहा जाता है, इसके पीछे उनके जीवनभर का संघर्ष रहा है.

Sohit Kumar
Sohit Kumar
Passion for doing videos and writing content in digital media. Specialization in Education and Health Story

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