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Bhubaneswar News: 21वीं सदी में भारत की विकास गाथा लिखेगा आइआइटी पालक्कड़ : धर्मेंद्र प्रधान

Bhubaneswar News: आइआइटी पालक्कड़ के सातवें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए. उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित किया.

Bhubaneswar News: देश को आइआइटी में पढ़ने वाले छात्रों पर गहरा विश्वास है. वे केवल इंजीनियरिंग स्नातक नहीं, बल्कि बुद्धिजीवी और कई गुणों के अधिकारी होते हैं. 21वीं सदी में भारत की विकास गाथा आइआइटी पालक्कड़ लिखेगा. यह बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को केरल स्थित आइआइटी पालक्कड़ के सातवें दीक्षांत समारोह में शिरकत करते हुए कही.

2047 तक भारत को विकसित बनाने में युवा देंगे सहयोग

श्री प्रधान ने डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि वे अपने जीवन के एक नये पेशेवर अध्याय की शुरुआत कर रहे हैंय उन्होंने कहा कि आइआइटी पालक्कड़ के छात्र देश को 2047 तक एक विकसित भारत बनाने की दिशा में प्रेरणा और योगदान देने का कार्य करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि दस वर्षों से कम समय में आइआइटी पालक्कड़ शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में एक गतिशील केंद्र बन गया है, जो अत्यंत प्रसन्नता की बात है. श्री प्रधान ने कहा कि आइआइटी पालक्कड़ जैसे संस्थान 21वीं सदी में भारत की विकास गाथा को मजबूती प्रदान कर रहे हैं. हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं और 2047 तक एक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में हमें तेजी से आगे बढ़ना होगा. इसके लिए हमें वैश्विक मानकों की नींव रखनी होगी, प्रौद्योगिकी और नवाचार में आत्मनिर्भर बनना होगा, कृषि क्षेत्र को तकनीकी दृष्टिकोण से उन्नत करना होगा, और स्वच्छ ऊर्जा व जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एक समावेशी, डिजिटल और सार्वभौमिक आधारभूत ढांचा तैयार करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. इन सभी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को साकार करने के लिए छात्रों को नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी.

प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री माधव से प्रेरणा लेने का आह्वान

श्री प्रधान ने छात्रों से 14वीं शताब्दी के प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री माधव से प्रेरणा लेने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि छात्रों को आइआइटी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत के लिए एक विशिष्ट मॉडल विकसित करना चाहिए, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में नयी राहें बनानी चाहिए और उनमें नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आइआइटी के छात्र राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने और भविष्य का रोडमैप तय करने में अहम भूमिका निभाएं, यही संस्थान की ऐतिहासिक विरासत को आगे बढ़ाना होगा.

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