Rourkela News: साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था श्रीधर स्मृति ज्ञान विकास केंद्र का मासिक साहित्यिक उत्सव जेल रोड स्थित पद्मावती मेमोरियल हॉल में भव्य समारोह में गुरुवार की शाम सम्पन्न हुआ. सर्वप्रथम वैदिक रीति से संस्था के संस्थापक दिवंगत श्रीधर लेंका एवं महाप्रभु जगन्नाथ के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित किया गया. संस्था के अध्यक्ष डॉ उमाकांत पंडा ने मंच संचालन किया. मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ परमेश्वर शतपथी, मुख्य वक्ता इंजी. अभय चरण दास, सम्मानित वक्ता प्रोफेसर चंद्र ध्वज माझी और सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार दाश थे. जिन्होंने ओडिशा के गौरव कवि जयदेव के गीत गोविंद पर अपने विचार व्यक्त किये. संस्था के महासचिव प्रो डॉ सुभाष चंद्र लेंका ने पिछले चार दशकों में संस्था की गतिविधियों का विस्तृत विवरण दिया.
कवि जयदेव और उनकी रचनाओं पर व्यक्त किया विचार
मुख्य अतिथि डॉ शतपथी ने कहा कि 12वीं शताब्दी के कवि जयदेव का जन्म पवित्र अक्षय तृतीया के अवसर पर हुआ था. उनके महाकाव्य गीत गोविंद ने पूरी दुनिया में पहचान बनायी है. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ को गीत गोविंद की पदावली बहुत प्रिय हैं. मुख्य वक्ता श्री दास ने कहा कि भगवान जगन्नाथ को जयदेव द्वारा रचित गीत गोविंद इतना प्रिय था कि उन्होंने राजा प्रताप रुद्र मालिनी को इसे प्रतिदिन सुबह-शाम गाने का आदेश दिया तथा उनके रहने के लिए प्रचुर धन-संपत्ति से युक्त घर की व्यवस्था की. प्रोफेसर चंद्रध्वज माझी और सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार दाश ने भी कवि जयदेव के बारे में कई ऐतिहासिक तथ्यों पर चर्चा की. अन्य में शिक्षाविद रश्मिबाला राउतराय, ब्रजेंद्र दाश, बलराम दाश, सामाजिक कार्यकर्ता विचित्रानंद साहू ने कवि जयदेव के गीत गोविंद पर भाषण दिया. इस दौरान पश्चिम बंगाल के दीघा में भगवान जगन्नाथ मंदिर का नाम जगन्नाथ धाम रखने का विरोध किया गया. साथ ही कहा गया कि ओडिशा के पुरी में स्थापित जगन्नाथ धाम वास्तविक जगन्नाथ धाम है.
कविता पाठ महोत्सव में 50 कवियों ने लिया भाग
दूसरे सत्र में शिक्षाविद रश्मिबाला राउतराय की अध्यक्षता में 50 कवियों के साथ कविता पाठ महोत्सव का आयोजन किया गया. शिक्षाविद उमाशंकर तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कविता पाठ महोत्सव का आयोजन कवि ब्रह्मानंद पाढ़ी और कवयित्री उर्वशी दाश के संयोजन में किया गया. इनमें सौम्य प्रसाद, ज्ञान रंजन मिश्र, जटाधारी माझी, दिलीप भुई, अक्षय धल, बिरंचि मिश्र, विवेकानंद दास, देबेंद्र बल, सुकांति नायक, विक्रम आचार्य, सुनीता साहू, मुकेश माझी, दिनेश मिश्र, हरिहर शतपथी, संजय सामल, शुभलक्ष्मी मिश्र, हिमांशु शेखर महापात्र, ममता मलिक ने कविताएं सुनायीं. अंत में कवि निकुंज बिहारी दाश ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है