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Rourkela News: अखिल भारतीय कुड़ुख पाड़हा युवक संघ ने कुड़ुख भाषा व बन्ना लिपि को संवैधानिक मान्यता देने की मांग पर सौंपा ज्ञापन

Rourkela News: अखिल भारतीय कुड़ुख पाड़हा युवक संघ ने रैली निकाल कर कुड़ुख भाषा व बन्ना लिपि को संवैधानिक मान्यता देने की मांग पर ज्ञापन सौंपा.

Rourkela News: अखिल भारतीय कुड़ुख पाड़हा युवक संघ की ओर से कुड़ुख (उरांव) भाषा तथा इसकी लिपि बन्ना को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने की मांग पर सोमवार को शहर में विशाल रैली निकाली गयी. यह रैली बिरसा मुंडा चौक से शुरू होकर रिंगराेड होते हुए राउरकेला अतिरिक्त जिलापाल कार्यालय पहुंची. यहां पर राउरकेला के अतिरिक्त जिलापाल को राष्ट्रपति के उद्देश्य से ज्ञापन सौंपा गया. इस रैली में सुंदरगढ़ जिला के अलावा बालेश्वर, मयूरभंज समेत अन्य जिलों के कुडुख समाज के लोगों ने हिस्सा लेकर अपने अधिकारों काे लेकर नारेबाजी की. गुरु विक्रम भगत, रानी सिनगी दाई का जयकारा लगाया गया.

पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए महिला व पुरुष

अखिल भारतीय कुड़ुख पाड़हा युवक संघ के अध्यक्ष रामचंद्र खालको के नेतृत्व में बिरसा चौक से निकली इस रैली में पारंपरिक वेशभूषा में सज्जित पुरुष व महिलाएं शामिल रहे. नाच-गाकर तथा समाज के महापुरुषों के नाम का जयकारा लगाते हुए सभी राउरकेला महानगर निगम चौक से राउरकेला एडीएम कार्यालय पहुंचे. अपनी मांगों को लेकर राउरकेला अतिरिक्त जिलापाल के जरिये भारत की राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया. साथ ही भारतीय भाषा विभाग मुख्यालय, मैसूर तथा अन्य विभागों को भी ज्ञापन की प्रति प्रेषित की गयी है. इसमें संस्था के मुख्य सचिव बुरुंगा लकड़ा, सचिव किरण केरकेट्टा, सलाहकार शंकर तिर्की, दुखिनी एक्का, राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद की सुषमा लकड़ा, मधुरा लकड़ा, कुन्हा समाज के चंद्र किसान, दीनबंधु किसान, सुंदर किसान, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष नारायण मुंडा व अन्य शामिल थे.

केंद्र व राज्य में आदिवासी भाषा के लिए आयोग का गठन हो

उनकी मुख्य मांगों में प्राचीन कुड़ुख भाषा व इसकी कुड़ुख बन्ना लिपि को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने, इस भाषा को पठन-पाठन में शामिल करने, इस भाषा व लिपि को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने, कुड़ुख भाषा को लिखने व पढ़ने के मुख्य माध्यम के तौर पर मान्यता देने, कुड़ुख भाषा बहुल अंचल के विद्यालयों में इस भाषा में शिक्षादान व शिक्षकों की नियुक्ति करने, उच्च शिक्षा के लिये विश्वविद्यालयों में कुड़ुख भाषा विभाग का सृजन करने, आदिवासी भाषा के लिए केंद्र व राज्य में अलग भाषा आयोग का गठन करने, प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक पूरे देश में कुड़ुख भाषा पाठयक्रम चालू करने समेत अन्य मांगें शामिल हैं. इस रैली में ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़ से आये समाज के लोग भी शामिल रहे.

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Prabhat Khabar News Desk
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