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चक्रधरपुर का सबसे पुराना अखाड़ा जुलूस दंदासाई

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के मुहर्रम अखाड़ों का रिश्ता राजा अर्जुन सिंह के सिंहासन काल से रहा है. चक्रधरपुर में मुहर्रम केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सौहार्द के इतिहास को भी समेटे हुए है. चक्रधरपुर के अधिकतर वयोवृद्धों की जुबानी जो इतिहास सामने आते रहे हैं, उसके तहत राजा अर्जुन सिंह के समय में दंदासाई के […]

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के मुहर्रम अखाड़ों का रिश्ता राजा अर्जुन सिंह के सिंहासन काल से रहा है. चक्रधरपुर में मुहर्रम केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सौहार्द के इतिहास को भी समेटे हुए है. चक्रधरपुर के अधिकतर वयोवृद्धों की जुबानी जो इतिहास सामने आते रहे हैं, उसके तहत राजा अर्जुन सिंह के समय में दंदासाई के बहुत से मुसलमान दर्जी राजमहल में काम करते थे. इसके साथ ही शहर के कई अन्य प्रबुद्ध मुसलमानों का राजमहल में आना-जाना था.

राजा अर्जुन सिंह एक सर्वधर्म और न्यायप्रिय राजा थे. जिस तरह पुरानीबस्ती के आदि दुर्गा पूजा के विसर्जन जुलूस में जलते मशालों के बीच प्रतिमा को ले जाने की परंपरा राजा अर्जुन सिंह के जमाने से जुड़ा हुआ है, उसी तरह चक्रधरपुर के मुहर्रम अखाड़ों को भी राजा के कार्यकाल में ही 18वीं सदी में मान्यता दी गयी थी. राजमहल में जो मुसलिम आते जाते थे, राजा ने उनसे मुहर्रम के जुलूस निकालने के लिए अपनी ओर से सहयोग देने का यकीन दिलाया,

इसके बाद मुहर्रम का जुलूस निकला. राजा के कार्यकाल से शहर के सभी 11 अखाड़ों को क्रम संख्या भी आवंटित किये गये. चूंकि सबसे पुराना अखाड़ा जुलूस दंदासाई का था, इसलिए उसे प्रथम स्थान मिला. इसके बाद बंगलाटांड को दूसरा, लोको को तीसरा, ग्वाला पट्टी को चौथा, सौदागर पट्टी को पांचवां, वार्ड-6 मुजाहिदनगर को छठा, पोटका को सातवां, पापड़हाता को आठवां, चांदमारी को नौवां स्थान प्राप्त है. ग्रामीण क्षेत्र से सिमिदीरी व चोंगासाई के अखाड़ा जुलूस को भी दसवां व ग्यारहवां क्रम हासिल है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के दोनों अखाड़ा जुलूस अब शहर नहीं आकर गांव में ही निकलते हैं.

राजा के जमाने से चली आ रही परंपरा व क्रम का निर्वाह आज भी हो रहा है. बताया जाता है कि दंदासाई का अखाड़ा निकल कर सबसे पहले राजमहल में रेलवे लाइन के नीचे से जाता था. जहां घंटों खेलों का प्रदर्शन होता. राजा स्वयं रानी के साथ उपस्थित रह कर करतबों का अवलोकन करते थे. अच्छे खिलाड़ियों को इनाम से भी नवाजते थे.

इसके बाद अखाड़ा मुख्य अखाड़ा स्थल पर जाता था. राजापाठ खत्म होने के बाद से ही अखाड़ा सीधे मुख्य अखाड़ा स्थल पर जाने लगा. अब समय काफी बदल चुका है. लोको व चांदमारी और सौदागर पट्टी व ग्वाला पट्टी का जुलूस एक साथ ही निकल रहा है. चोंगासाई व सिमिदीरी के साथ पारसाई, आजादबस्ती व मंडलसाई के ग्रामीण भी शामिल होकर सिमिदीरी गांव में अखाड़ा का भ्रमण करते हैं.

अखाड़ा एवं उसके लाइसेंसधारी
अखाड़ा लाइसेंसी
दंदासाई मकसूद आलम खान
बंगलाटांड़ मो शहजादा
लोको मो पीरूल
ग्वाला पट्टी आजाद गद्दी
सौदागर पट्टी अख्तर नूरी
मुजाहिदनगर मेहबूब नूरी
पोटका अख्तर हुसैन
पापड़हाता एजाज खान कल्लू
चांदमारी राफिद अहमद अंसारी
चोंगासाई एनामुल हक
सिमिदीरी जाकिर हुसैन

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