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लॉबिंग कर रहे फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक, विभाग ने वेतन रोका

इन शिक्षकों की उच्च पदाधिकारियों से सांठगांठ : सूत्र इसके कारण शिक्षकों पर कार्रवाई में हो रही है देर स्थापना समिति की बैठक में हटाने का निर्णय होगा चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले में फर्जी डिग्री पर शिक्षक की नौकरी लेने का मामला खुलने के बाद आरोपी शिक्षक अपने स्तर से पैरवी में जुट गये […]

इन शिक्षकों की उच्च पदाधिकारियों से सांठगांठ : सूत्र

इसके कारण शिक्षकों पर कार्रवाई में हो रही है देर
स्थापना समिति की बैठक में हटाने का निर्णय होगा
चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले में फर्जी डिग्री पर शिक्षक की नौकरी लेने का मामला खुलने के बाद आरोपी शिक्षक अपने स्तर से पैरवी में जुट गये हैं. फर्जी डिग्रीधारी शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए राजनेता से लेकर उच्च पदाधिकारी तक लॉबिंग में जुटे हैं. शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार इन शिक्षकों का उच्च पदाधिकारी से साठ-गांठ है.
इन शिक्षकों पर अंतिम निर्णय लेने में विलंब होने का मुख्य कारण यह भी है. जांच में गलत पाये जाने के बावजूद विभाग ने अबतक एक्शन नहीं लिया है. हालांकि डीएसई नीलम आइलिन टोपनो के मुताबिक स्थापना समिति की बैठक में इन शिक्षकों को हटाने का निर्णय होगा. फिलहाल शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दी गयी है. ऐसे फर्जी शिक्षकों को कारण योग्यताधारी अभ्यर्थी नौकरी से वंचित रह जाते हैं.
शिक्षकों पर लगाया जा सकता है जुर्माना : पांचों फर्जी शिक्षकों से जुर्माना वसूला जा सकता है. हालांकि इस पर जिला प्रशासन निर्णय करेगा. इन शिक्षकों से जुर्माना लिया जाता है तो लाखों रुपये शिक्षा विभाग को देने होंगे.
12 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की हुई थी जांच
जगन्नाथपुर प्रखंड में कार्यरत शिक्षकों के संबंध में प्राप्त परिवाद पत्र के आधार पर कुल 12 शिक्षक \\शिक्षिकाओं के प्रशिक्षण प्रमाण पत्र की जांच संबंधित संस्थान से करायी गयी. 12 शिक्षकों में चार शिक्षकों की बीएड डिग्री फर्जी व एक शिक्षक फेल होने के बावजूद नौकरी करते हुए मिले. इसमें उमवि मानिकपुर के अयोध्या प्रधान, प्रावि गारदीसाई के रुपेश कुमार महतो, प्रावि पुरतीदिघिया के विभूति भूषण प्रधान, मवि के अरुण कुमार महतो, प्रावि हाडीभंगा के सुभाष चंद्र प्रधान शामिल है. इसमें कुछ शिक्षकों का योगदान 2003-4 वर्ष में हुआ है. कुछ का 1988-89 में ज्वाइनिंग हुई है.
इतने दिन नौकरी करने के बाद अचानक हटाने से परेशानी होगी. विभाग को पहले ही जांच करनी चाहिए थी. सरकार इस पर निर्णय करे. नौकरी से हटाने पर कोर्ट तक हक के लिये जायेंगे.
– अरुण कुमार महतो, शिक्षक, मध्य विद्यालय जगन्नाथपुर

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