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दर्जनों स्कूलों के 15 हजार बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे

एनएच पर स्कूलों के पास स्पीड लिमिट, स्पीड ब्रेकर, जेब्रा क्रॉसिंग तक नहीं चाईबासा : बिहार के मुजफ्फरपुर में अनियंत्रित वाहन के धक्के से नौ स्कूली बच्चों की मौत ने स्कूलों के बाहर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिया है. पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर प्रखंड में लगभग एक दर्जन सरकारी स्कूल-कॉलेज के मुख्य द्वार […]

एनएच पर स्कूलों के पास स्पीड लिमिट, स्पीड ब्रेकर, जेब्रा क्रॉसिंग तक नहीं

चाईबासा : बिहार के मुजफ्फरपुर में अनियंत्रित वाहन के धक्के से नौ स्कूली बच्चों की मौत ने स्कूलों के बाहर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिया है. पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर प्रखंड में लगभग एक दर्जन सरकारी स्कूल-कॉलेज के मुख्य द्वार एनएच-75 व एनएच-220 की ओर है. दोनों मुख्य सड़क से हर दिन हजारों बच्चे स्कूल-कॉलेज आते-जाते हैं. सोमवार को प्रभात खबर की टीम ने चाईबासा शहर से गुजरे एनएच व बायपास स्थित स्कूलों में सुरक्षा आदि की स्थिति देखी. स्कूलों के आस-पास स्पीड लिमिट, ‘सावधान बच्चे हैं’ का साइन बोर्ड, जेब्रा क्रॉसिंग व स्पीड ब्रेकर नहीं है. करीब सभी स्कूलों के बाहर यही हाल है. स्कूली बच्चे बेधड़क सड़क व रेलवे फाटक पार करते हैं.
विभाग व एजेंसी की लापरवाही
स्कूलों के पास स्थित मुख्य सड़कों पर साइन व जेब्रा क्रॉसिंग लगाने की जिम्मेदारी सड़क बनाने वाले विभाग या एजेंसी की है. चाईबासा के पास दो एनएच है. लेकिन कहीं भी जेब्रा क्रॉसिंग नहीं लगा है. यहां तक कि विद्यालय के आसपास कहीं भी स्पीड ब्रेकर नहीं है.
स्कूल प्रबंधन भी लापरवाह
चाईबासा प्रखंड की मुख्य सड़कों पर स्कूली बच्चों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जा रही है. स्कूल प्रबंधन भी सड़क सुरक्षा की दिशा में पहल नहीं कर रहे हैं. आरसीडी ने सड़कों पर जेब्रा क्रॉसिंग, स्पीड ब्रेकर व सुरक्षा संबंधित साइन का निर्माण नहीं कराया. स्कूल प्रबंधन विभाग को सूचना देकर बच्चों की सुरक्षा के लिए कमद उठा सकता है.
सरकारी स्कूलों को चिंता नहीं : सड़क पर पैदल, निजी वाहन व पब्लिक वाहनों से आवागमन करने वाले अधिकांश विद्यार्थी सरकारी स्कूलों के होते हैं. सरकारी स्कूलों में न तो बच्चों को ट्रैफिक के प्रति जागरूक किया जाता है न सुरक्षा के कदम उठाये जाते हैं.
सड़क किनारे खुल रहे स्कूल :पश्चिमी सिंहभूम में सस्ती जमीन के चक्कर में सड़क किनारे ज्यादातर स्कूल खुले हैं. नये स्कूलों का निर्माण, बड़े-बड़े प्रतिष्ठान, गैरेज, शोरूम आदि मुख्य सड़क के किनारे हो रहे हैं. इस कारण सड़कों पर बड़े वाहनों का आवागमन बढ़ गया है. आये दिन सड़क हादसे हो रहे हैं.
व्यस्त ट्रैफिक के बीच सड़क पार करते हैं बच्चे : शहर में एनएच किनारे कई स्कूल हैं. यहां अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चे सड़क पार करते हैं. अक्सर दुर्घटना की आशंका रहती है. हालांकि ज्यादातर प्राइवेट स्कूल दावा करते हैं कि बच्चों के आने व छुट्टी के वक्त गेट के बाहर चौकीदार के साथ चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी तैनात रहते हैं.
घर पहुंचने तक जिम्मेदारी स्कूल की
स्कूल बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि बच्चों के घर पहुंचने तक जिम्मेदारी स्कूल की है. बच्चा जब घर से निकलकर स्कूल बस में सवार हो जाता है. उसके बाद से ही बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल की है.
मानकों की हो रही अनदेखी
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर मानकों की अनदेखी की जा रही है. स्कूल के सामने वाली सड़क पर वाहनों की गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित है.
गति सीमा निर्धारण का बोर्ड कई जगह शहर में लगाया गया हैं, जिसमें गति सीमा 30 किमी प्रति घंटा दर्शाया गया है. वहीं एनएच व बाईपास स्थित स्कूलों के समीप सुप्रीम कोर्ट ने साइन लगाने का निर्देश दिया है.
एनएच-75 (ई) : हर दिन गुजरते हैं 10 हजार बच्चे
चाईबासा-जैंतगढ़ एनएच-75 (ई) शहर के बीच से गुजरता है. एनएच पर करीब आधा दर्जन स्कूल हैं. अधिकांश का मुख्य प्रवेश द्वार एनएच की ओर है. इनमें सेंट विवेका इंग्लिश हाई स्कूल, डीपीएस पब्लिक स्कूल, एसपीजी मिशन ब्वॉयज स्कूल, एसपीजी मिशन उच्च विद्यालय, एसपीजे मिशन गर्ल्स हाई स्कूल, लूथेरन स्कूल, राजकीय बनियादी कन्या उच्च विद्यालय आदि को मिलाकर रोजाना करीब दस हजार बच्चे स्कूल आते हैं. इनमें 30 फीसद बच्चों को बाकी साइकिल या पैदल आते हैं. बावजूद इसके एनएच-75 में गति सीमा 20 किमी प्रति घंटे का बोर्ड नहीं लगाया गया है. ऐसे में वाहन चालक कैसे समझेंगे कि सामने बच्चों का स्कूल है.
(एनएच-220) : पांच हजार विद्यार्थी आते हैं
चाईबासा-हाता स्थित एनएच 220 के पास मुख्य सड़क पर डीएवी स्कूल, सदर प्रखंड स्थित तिरिलबुटा प्राथमिक विद्यालय, टेकासाई स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मध्य विद्यालय खपरसाई समेत करीब आधा दर्जन विद्यालय हैं. इनमें ज्यादातर सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं. सभी स्कूलों के मुख्य द्वार एनएच की ओर है. इन विद्यालयों के आगे कहीं भी साइन बोर्ड नहीं लगाया गया है. वहीं जेब्रा क्रॉसिंग व स्पीड ब्रेकर भी नहीं है. एनएच-220 से होकर रोजाना करीब 5 हजार बच्चे स्कूल आते हैं. वहीं डीएवी स्कूल ने ट्रैफिक नियमों का थोड़ा बहुत ख्याल रखा है.

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