24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Tata Steel Jharkhand Literary Meet : ममता कालिया ने कहा, लोगों को फेसबुक से बुक की ओर ले जा रहा साहित्य उत्सव

Jharkhand Literary Meet|हिंदी की मशहूर साहित्यकार ममता कालिया टाटा स्टील और प्रभात खबर के सौजन्य से आयोजित झारखंड लिटरेरी मीट का हिस्सा बनने रांची आई हुई हैं. इस मौके पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने उनसे विशेष बातचीत की. पढ़िए इस बातचीत के प्रमुख अंश -

क्या आप पहले रांची आईं हैं या यह पहली बार है?

मैं रांची पहली बार आई हूं और यह शहर मुझे बहुत पसंद आया है. इससे पहले मैंने रांची के बारे में भूगोल की किताबों में पढ़ा था कि चेरापूंजी और रांची में बहुत बारिश होती है. यहां शायद कल भी बारिश हो रही थी, लेकिन अभी अच्छी धूप निकली हुई है. रांची वासियों को जोहार और धन्यवाद.

आपने लेखन की शुरुआत 16-17 वर्ष की उम्र में कर दी थी, यह कैसे संभव हो पाया था?

मेरे जीवन में जबतक मेरे पति रविंद्र कालिया नहीं आए थे, मेरे हीरो मेरे पिता थे. मेरे पापा हिंदी और अंग्रेजी के विद्वान थे और वे रेडियो में काम करते थे. उनकी वजह से मैंने कई बड़े-बड़े कवियों और लेखकों को लाइव सुना था, क्योंकि उस वक्त कार्यक्रम की रिकाॅर्डिंग नहीं होती थी. मैंने हरिवंश राय बच्चन, भगवती चरण वर्मा और बेगम अख्तर को लाइव सुना था और मैं उनसे बहुत प्रभावित होती थी. जब लोग उनसे मिलने आते थे तो मुझे बहुत अच्छा लगता था और अगर मैं यह कहूं कि मैं रेडियो सुनते, किताब पढ़ते और लेखकों-कवियों को सुनते लिखने लगी तो गलत नहीं होगा.

हमने यह सुना है कि आपको शादी से पहले रविंद्र कालिया जी ने चुनौती दी थी जिसके बाद आपने कहानियां लिखना शुरू किया?

जी, मेरी मुलाकात रवि जी से पंजाब यूर्निवर्सिटी के एक गोष्ठी में हुई थी. वहां मैंने कहानियों पर पर्चा पढ़ा था. जब मैं दिल्ली वापस आ रही थी, तो इत्तेफाक से हमारी बस एक ही थी और हम अगल-बगल की सीट पर बैठे थे. हमारी बात हुई और उन्होंने मुझसे यह कह दिया कि आप सिर्फ कविता-वविता ही लिखती हैं या कुछ और भी लिखती हैं? आप कहानियां नहीं पढ़ती हैं क्या? किसी दूसरे कहानीकार को नहीं पढ़ती हैं क्या? उनकी यह बात मुझे अच्छी नहीं लगी और हमारी बहस हो गई. तब मैंने कहानी लेखन को चुनौती के रूप में लिया और कहानियां लिखना शुरू किया. हालांकि सिर्फ यही वजह नहीं है, मैंने कविताओं से खुद को इसलिए भी अलग किया क्योंकि कविता का युग खत्म हो रहा था और कविताएं देहवादी होती जा रही थीं. हमारी उस मुलाकाता में मुअर्नेस्ट हेमिंग्वे ट्‌विस्ट लेकर आए. हेमिंग्वे से हमदोनों प्रभावित थे और उनके डाॅयलाॅग हमें याद थे, बस इसी वजह से हमारी दोस्ती हो गई और फिर हमने शादी कर ली.

Undefined
Tata steel jharkhand literary meet : ममता कालिया ने कहा, लोगों को फेसबुक से बुक की ओर ले जा रहा साहित्य उत्सव 2

आज के दौर में सोशल मीडिया का प्रभाव है आप इसे कैसे देखती हैं?

हम दो शताब्दियों के बीच के लोग हैं. हमने काफी बदलाव देखा है. आज के समय टेक्नोलाॅजी का काफी विकास हुआ है. मैंने कहानियों को काफी बदलते हुए देखा है. आज के समय में जितना विकास हुआ है उतना ही विनाश भी हुआ है.

आपको लेखन में तीन दशक से अधिक का अनुभव है, लेखन में रुचि रखने वाले युवाओं को क्या सलाह और सुझाव देंगी.

युवाओं को मैं यह कहना चाहती हूं कि आज दुनिया पल-पल बदल रही है. इस परिवर्तनकामी समय में लिखने के लिए कई विषय हैं, जिनका आप चुनाव कर सकते हैं. आपके आसपास आपके घर में कई पात्र हैं, बस जरूरत है उन्हें समझकर लिखने की. मैं यह भी कहना चाहती हूं कि अगर आप व्यथा में हैं, तो उसे भी लिखें. आपके जैसे कई लोग होंगे, जिनकी व्यथा आपके जैसी होगी. आपके जीवन में कई सवाल और परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिनकी चर्चा आप अपने मां-बाप, भाई-बहन और दोस्तों से नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप उन्हें लिख सकते हैं, तो उन्हें लिखिए. मेरी एक सलाह है कि निराशावादी ना लिखें, लेकिन ऐसा लिखें जो लोगों को प्रेरित करे.

आप कहानी लिखते समय निष्कर्ष पर पहले पहुंच जाती हैं या पहले पात्र तय होते हैं, उसके बाद परिस्थितियां और फिर निष्कर्ष?

आपका सवाल बढ़िया है, लेकिन यह दोनों छोर से खुला है. कई बार कहानियां निष्कर्ष पर पहुंचती ही नहीं परिस्थितियों में ही उलझकर रह जाती हैं. कहानी लिखने के लिए पात्रों को समझना जरूरी है.

अब साहित्य उत्सव का आयोजन लगभग हर बड़े शहर में हो रहा है? इसका कितना फायदा साहित्य को होगा?

साहित्य उत्सव का आयोजन निश्चित तौर पर साहित्य के लिए अच्छा है. यह साहित्य उत्सव लोगों को किताबों की ओर लेकर जाता है. ऐसे उत्सवों का हिस्सा बनकर जब लोग लेखकों को देखते हैं तो उनसे प्रभावित होते हैं और किताबें खरीदते हैं. अगर यह कहा जाए कि साहित्य उत्सव लोगों को फेसबुक से बुक की ओर लेकर जाता है तो गलत नहीं होगा. आप हमारी बिरादरी के हैं, क्योंकि आप पत्रकार हैं. एक साहित्यकार और पत्रकार एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, क्योंकि दोनों लिखने-पढ़ने का काम करते हैं.

टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट : शास्त्रीय साधिका शुभा मुदगल ने ‘आलम-ए-इश्क’ में पिरोयी सूफी-भक्ति

आपकी आने वाली रचना कौन सी है और उसका नाम क्या है?

मैं अभी कोरोना काल की मोहब्बतें नाम से किताब लिख रही हूं. मैंने इस किताब में कोरोना की विभीषिका नहीं लिखी बल्कि मैंने उस दौरान के सर्वाइवर पर किताब लिखी है, उनके दुख-सुख. कई लोगों की शादियां कोरोना काल में हुई, उनके बच्चे हुए, तो इन बातों को कहने वाला भी कोई होना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें