कोलेबिरा. प्रखंड की नवाटोली पंचायत के जिल्पीटोली व नदी डीपा गांव के लोग आज भी लालटेन युग में जीने को विवश है. प्रखंड मुख्यालय से लगभग 13 किमी व जिला मुख्यालय से 43 किमी दूर में अवस्थित आदिवासी बहुल जिल्पी व नदी डीपा टोली दोनों गांव चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा है. गांव में लगभग 50 से 55 घर हैं, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं. गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंचने से गांव वाले काफी परेशान है. रात के वक्त जंगली जानवर घरों तक आकर उनके पालतू पशुओं को अपना शिकार बना लेते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. बिजली नहीं होने से छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में भी परेशानी होती है. शाम होते जंगली जानवरों के चिल्लाने की आवाज उनके घरों तक पहुंचती है. लोग अक्सर जंगली जानवरों के हमले से भयभीत रहते हैं. गांव वालों ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व बिजली विभाग के ठेकेदार ने प्रत्येक घरों में एक-एक बिजली का मीटर देकर कहा था कि एक महीने के अंदर गांव में बिजली आ जायेगी, किंतु अब मीटर देने के पांच साल बाद भी ग्रामीण को बिजली नहीं मिली. चुनाव के वक्त विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के जनप्रतिनिधि गांव पहुंचते हैं. गांव में बिजली पहुंचाने के नाम पर उनका वोट लेते हैं. चुनाव खत्म होते राजनेता अपना वादा भूल जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कोलेबिरा के वर्तमान विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी से भी बिजली पहुंचाने की गुहार अनेकों बार लगायी, लेकिन उन्होंने इस ओर को ध्यान नहीं दिया. राज्य व केंद्र के मंत्री बड़े-बड़े मंचों पर घोषणा करते हैं कि राज्य व देश के सभी गांवों व टोलों में बिजली पहुंचा दी गयी है. किंतु हकीकत गांव व टोला जाने से पता चलता है. नवाटोली पंचायत की मुखिया कल्पना देवी ने बताया कि उनकी पंचायत के आठ टोलों में बिजली नहीं है. गांव के लिली प्रभा, कुंवारी डुंगडुंग, वेरोनिका डुंगडुंग, एमरेंसिया डुंगडुंग, प्रभा डुंगडुंग, असीना डुंगडुंग, कालू मुंडा, सुरसेन सुरीन, जुसपा डुंगडुंग, अजीत सुरीन, बैसाखू मुंडा का कहना है कि उन्हें पांच साल पूर्व बिजली का मीटर दिया गया है. किंतु आज तक उनके घरों में बिजली नहीं पहुंची. उन्होंने उपायुक्त से भी गांव में जल्द से जल्द बिजली बहाल करने की अपील की है.
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