सिमडेगा. नगर परिषद कार्यालय के निकट झामुमो ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर धरना दिया. मौके पर जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कहा कि जब तक सरना धर्म कोड लागू नहीं होगा, तब तक जातीय जनगणना का कोई औचित्य नहीं है. हमारे देश में अधिक जनसंख्या में सरना धर्म मानने वाले लोगों की है, फिर भी सरना धर्म कोड लागू नहीं करना आदिवासियों व सरना धर्मावलंबियों का मौलिक अधिकार का हनन है. सरना धर्मावलंबियों के धार्मिक अस्तित्व को मिटाने की साजिश है. जब तक सरना धर्म कोड लागू नहीं होता है, तब तक सरना धर्म कोड के लिए संघर्ष जारी रहेगा. कहा सरना धर्म कोड को लागू किये बिना जातिगत जनगणना कराना आदिवासियों की धार्मिक पहचान और अधिकारों के साथ अन्याय है. झामुमो हमेशा से आदिवासी समाज के हितों के लिए संघर्ष करता रहा है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस लड़ाई के अग्रदूत हैं. जिलाध्यक्ष ने कहा कि जब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी जाती, तब तक पार्टी राज्य भर में जातिगत जनगणना का विरोध करेगी. झामुमो जिला सचिव मो शफीक खान ने कहा कि आज झामुमो केंद्र सरकार को अल्टीमेटम देता है कि जब तक सरना आदिवासी धर्म कोड लागू नहीं होता, तब तक राज्य में जातीय जनगणना नहीं होने दिया जायेगा. धरना प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम उपयुक्त के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया. धरना प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष रितेश बड़ाइक, मो रुफी, जिला कोषाध्यक्ष राजेश टोप्पो, केंद्रीय सदस्य नोवास केरकेट्टा, फिरोज अली, बिरजो कंडुलना, नुसरत खातून, प्रफ्फुलित डुंगडुंग, जुसाब लुगून, मो इरशाद, जाफर खान, पूर्व जिलाध्यक्ष किशोर डांग, झामुमो नेत्री सह जिप अध्यक्ष रोज प्रतिमा सोरेंग, पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष फूलकुमारी समद, पूर्व अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष साबिर अंसारी, नगर अध्यक्ष मो आनस आलम उपस्थित थे.
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