Snake Bite: मानसून शुरू होते ही गांव के हरे-भरे वातावरण में सांप निकल ही आते हैं. खास कर वैसे गांव जो घने जंगलों के आसपास बसे हैं. ऐसे गांवों में बरसात के दिनों में सांपों का आना बहुत आम बात है. कई बार ये सांप बिना किसी को नुकसान पहुंचाएं चले जाते हैं, तो कई बार विषैले सांपों के जहर से लोगों की मौत हो जाती है. बीते डेढ़ सालों में झारखंड के कोल्हान से सर्पदंश के जो आंकड़ें सामने आये हैं, वो आपको चौंका देंगे.
डेढ़ सालों में 900 से अधिक सर्पदंश के मामले
कोल्हान के तीनों जिले सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम में सर्पदंश के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. हरे-भरे जंगल, नमी वाली जमीन और झाड़ियों से घिरे इन जिलों में सांपों की सक्रियता सबसे अधिक देखी जाती है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि पिछले डेढ़ साल में इन तीनों जिलों में 900 से अधिक लोग सर्पदंश का शिकार हुए हैं. इनमें से 14 से अधिक लोगों की जान चली गयी.
पूर्वी सिंहभूम में सर्पदंश के आंकड़े
जिला सर्विलेंस रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी सिंहभूम में जनवरी से जुलाई 2025 तक 56 सर्पदंश के मामले आये. जबकि एमजीएम अस्पताल के आकड़ों के अनुसार जनवरी से जुलाई 2025 तक कुल 126 मरीज इलाज के लिए पहुंचे, जिनमें से अप्रैल से जुलाई के बीच 3 मरीजों की मौत हुई. इसके अलावा गांवों में अधिकतर लोग सांप काटने के बाद अस्पताल जाने के बजे झाड़-फूंक करवाते हैं. ऐसी परिस्थिति में मौत होने पर वे आंकड़े दर्ज भी नहीं होते हैं.
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सरायकेला-खरसावां में सर्पदंश के आंकड़े
सरायकेला जिले में वर्ष 2024 से अबतक कुल 438 सर्पदंश के मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से अधिकांश मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है. जुलाई 2024 में सर्वाधिक 76 मामले सामने आए, वहीं 2025 में अब तक जून में 61 और जुलाई के पहले पखवाड़े तक 28 मरीज अस्पताल पहुंचे हैं.
पश्चिमी सिंहभूम में सर्पदंश के आंकड़े
पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में जनवरी से जुलाई 2025 तक सांप काटने की शिकायत लेकर 234 मरीज भर्ती हुए, जिनमें 5 की मौत हो गयी. वहीं 2024 में अप्रैल से दिसंबर के बीच 436 मरीज अस्पताल पहुंचे थे और 6 लोगों की मौत हुई थी.
कोल्हान क्षेत्र में पाये जाने वाले विषैले सांप
कोल्हान क्षेत्र में कई विषैले सांपों की प्रजातियां हैं, जिनमें प्रमुख है भारतीय नाग, कॉमन करैत, रसेल वाइपर, बैंडेड करैत, बैंबू पिट वाइपर और सालाजार पिट वाइपर. इनमें नाग, करैत और रसेल वाइपर के काटने से सबसे अधिक मौतें हुई हैं. अन्य प्रजातियों के मामले अपेक्षाकृत कम हैं.
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