खरसावां/राजनगर.
राजनगर प्रखंड के ईचा गांव में श्रीश्री रघुनाथ महाप्रभु छऊ नृत्य कला केंद्र ईचा की ओर से वार्षिक छऊ नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया. मौके पर दुबिल, चंदनखिरी, गितिलादेर, कोटार धारा, सरायकेला, ईचा और जंघिया (डालिमा) के छऊ दलों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं. छऊ कलाकारों ने महिषासुर मर्दिनी, राधा-कृष्ण, हर-पार्वती और परिखंडा नृत्य जैसे पौराणिक और सामाजिक विषयों पर आधारित नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित छऊ गुरु तपन कुमार पटनायक ने कहा कि यह आयोजन गांव के सामूहिक प्रयास और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है. हम बिना सरकारी सहायता के इस सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का प्रयास कर रहे हैं.प्रतिभागी कलाकारों को मिला सम्मान
महोत्सव में भाग लेने वाले सभी छऊ कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. संस्थान के सचिव बैद्धनाथ सिंहदेव ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और भी बेहतर रूप में प्रस्तुत किया जाएगा. आयोजन की सफलता में बैद्धनाथ सिंहदेव, जलेश्वर सिंहदेव, बासु सिंहदेव, प्रदीप सिंहदेव, श्रीपति, होली कुम्हार, हेमंत सिंहदेव, फागू बोदरा सहित ईचा राज परिवार के सभी सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.दो पारंपरिक अखाड़ों से निकले हैं कई नामी छऊ कलाकार
ईचा गांव में छऊ नृत्य के दो पारंपरिक अखाड़े हैं, जहां से कई नामचीन कलाकार निकले हैं. इन्हीं में से एक थे पद्मश्री पंडित श्यामा चरण पति, जो इस संस्था के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं. उनके निधन के बाद गुरु तपन कुमार पटनायक को अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो आज भी बच्चों को निःशुल्क छऊ प्रशिक्षण दे रहे हैं. सेवानिवृत्त होने के बाद भी तपन पटनायक खरसावां, सरायकेला, चाईबासा, आदित्यपुर, रांची, जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहरों में छऊ नृत्य की अलख जगा रहे हैं. उनका यह योगदान न सिर्फ ईचा गांव बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है