सरायकेला.
कलानगरी के रूप में विख्यात सरायकेला में पद्मश्री सम्मानित गुरु शशधर आचार्य व स्थानीय कलाकारों के बीच विवाद बढ़ते जा रहा है. शशधर आचार्य द्वारा कलाकारों को भस्मासुर जैसे शब्द का प्रयोग करने के खिलाफ कलाकारों द्वारा जहां विरोध किया जा रहा है, वहीं भस्मासुर शब्द को वापस लेने की मांग की जा रही है.अभियान को प्रभावित करने में जुटे हैं गुरु शशधर : भोला मोहंती
आर्टिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले छऊ कलाकारों ने बुधवार शाम को बैठक की. बैठक की अध्यक्षता संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित ब्रजेंद्र पटनायक ने की. बैठक में निर्णय लिया गया कि पद्मश्री सम्मान को देखते हुए कलाकारों द्वारा पुतला दहन नहीं किया जायेगा, पर कलाकार लगातार विरोध करते रहेंगे. आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भोला मोहंती ने कहा कि पद्मश्री सम्मान से सम्मानित गुरु शशधर आचार्य का नाम चैत्र पर्व के आयोजन के लिए सभी समितियों में सबसे ऊपर रखा गया था. यहां तक प्रतियोगिता के निर्णायक मंडलियों में भी उनका नाम सबसे ऊपर था. महोत्सव के अंतिम दिन सरायकेला में रहते हुए भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. मोहंती ने आरोप लगाया कि गुरु शशधर पद्मश्री सम्मान की आड़ में एक सोची-समझी रणनीति के तहत वर्तमान में छऊ के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए कलाकारों का जो अभियान चल रहा है उसको प्रभावित करने का नाटक रच रहे हैं. गुरु तरुण भोल ने कहा गुरु शशधर आचार्य द्वारा कला को बढ़ाने की बात कहना शोभा नहीं देता. जिस समय राजकीय कलाकेंद्र को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी, उस समय उनका साथ नहीं मिला. मौके पर काफी संख्या में कलाकार उपस्थित थे.कोट
भस्मासुर शब्द को वापस लेने से अगर छऊ कला का विकास होता है, तो मैं उस शब्द को वापस लेने के लिए तैयार हूं. मैंने किसी कलाकार के प्रति भस्मासुर शब्द का प्रयोग नहीं किया है. जो कला के स्तर को खुद नीचे गिराने में लगे हैं, उनके लिए प्रयोग किया गया है. -गुरु शशधर आचार्य, पद्मश्री सम्मान प्राप्त.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है