चांडिल.चांडिल गोलचक्कर स्थित दिशोम जाहेरगाढ़ में मंगलवार को झारखंड दिशोम बाहा (सरहुल) महोत्सव मनाया गया. इस दौरान नायके बाबा ने विधिवत पूजा-अर्चना की. सभी लोग नतमस्तक होकर देवी- देवताओं के आशीष के रूप में सखुआ फूल अर्थात सारजोम बाहा ग्रहण किये व कुल देवता यानि (मारांग बुरू जाहेर आयो मोडे को तुरूय को) से आशीर्वाद प्राप्त किये. नायके बाबा के हाथों से महिलाओं ने सारजोम बाहा को अपने जुड़ो व पुरुषों ने अपने कानों पर सजाया. इसके बाद सभी लोगों ने सामूहिक रूप से सुख-समृद्धि की कामना भी की. कार्यक्रम में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा बाहा पर्व आदिवासियों का आस्था, प्रकृति पूजक व रक्षक का प्रतीक है.
बाहा गीत पर झूमे महिला-पुरुष व बच्चे
इस दौरान सारजोम बाहा हो मातकोम गेले-मुलू चादो हो बाहा बोगा, माघ बोगाय पोलोमेन फागुन सेटेरेना, ओत डिगिर-डिगिर, नुकिन दो अकोय, पुरूब होय दो, मोडे को तुरूय को, हनी दाई ना… सहित अन्य बाहा गीतों से चांडिल गोलचक्कर जाहेरथान बाहामय हो गया. उसके बाद जाहेरथान परिसर में बाहा नृत्य टीम किनुडीह जमशेदपुर की मनमोहक नृत्य प्रस्तुति, मांदर व नगाड़ों की थाप पर सामूहिक बाहा नृत्य का खूब लुत्फ उठाया गया. खासकर समाज के युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लेकर अपनी आपसी एकता, अखंडता व प्रकृति प्रेम को प्रदर्शित किया. सामूहिक रूप से बाहा पूजा कर प्रकृति की उपासना की. जिससे प्रकृति के महत्व को समझाया व प्रकृति की रक्षा करने के संकल्प लिया. सभी लोगों ने एक स्वर में कहा प्रकृति की रक्षा को अग्रिम पंक्ति में आदिवासी समुदाय खड़ा है. कार्यक्रम में आदिवासीयत पुरखो की कहानियों को चितार (चित्र) के माध्यम से जगहों-जगहों पर बनाकर दर्शाया गया.ये थे मौजूद
ईचागढ़ विधायक सविता महतो, पारगाना रामेश्वर बेसरा, माझी बाबा तारांचाद टुडू, गुरुचरण किस्कू, चारूचांद किस्कु, दिलिप किस्कू, संतोष किस्कू, सुगी हांसदा, सुधीर किस्कू, बैधनाथ टुडू, सुदामा हेम्ब्रम, सोनाराम मार्डी, मनीष टुडू, गुरुपद हांसदा, कासीम किस्कू, मोतीलाल दाराईबुरू हांसदा, सुमित टुडू आदि.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है