13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Seraikela Kharsawan News : गोभी व ईख की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान

सरकारी सहायता बिना अपनी मेहनत से खड़ी की मिसाल, तालाब बना सहारा

सरायकेला. सरायकेला अंचल के बांधडीह और सिंहपुर गांव के किसान गोभी और ईख की खेती कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं. ठंड के मौसम में यहां की गोभी की विशेष मांग रहती है. क्षेत्र के करीब दो दर्जन किसान हर वर्ष बंधगोभी, फूलगोभी और ईख की खेती करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है. किसानों के लिए धान, सब्जी और ईख ही आय के प्रमुख स्रोत हैं.

अक्तूबर के अंत से गोभी की रोपाई दिसंबर में तैयार:

किसान बताते हैं कि धान कटनी के बाद अक्तूबर अंत से गोभी की रोपाई शुरू करते हैं और दिसंबर में फसल तैयार हो जाती है. इस बार बारिश देर तक होने के कारण उपज में देरी हुई है. किसानों ने कहा कि वे बिना किसी सरकारी सहायता के अपने स्तर पर ही खेती करते हैं. पड़ोसी रामचंद्रपुर गांव के किसान भी इस पेशे से जुड़े हैं. एक किसान के अनुसार, गोभी की खेती से प्रति वर्ष लगभग 50 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है.

बड़ा बाजार नहीं होने से ईख की खेती में आ रही गिरावट:

बांधडीह व रामचंद्रपुर (बामुनडीहा) क्षेत्र में पहले ईख की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. किंतु अधिक लागत, कम उत्पादन और बाजार के अभाव के कारण अब किसान इससे पीछे हट रहे हैं. बांधडीह के किसान विजय महतो ने बताया कि ईख की बिक्री मुख्यतः स्थानीय बाजार में ही होती है, क्योंकि बड़े बाजार की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

तालाब से होती है खेतों की सिंचाई:

बांधडीह गांव में स्थित सरकारी तालाब किसानों के लिए जीवनरेखा जैसा है. मनरेगा से बनी पक्की नालियों के जरिये पानी खेतों तक पहुंचाया जाता है. किसान मशीनों से भी सिंचाई करते हैं. उनका कहना है कि यदि अधिक सिंचाई साधन उपलब्ध हों, तो सालभर सब्जी उत्पादन संभव है.

बाजार में ‘बांधडीह गोभी’ का खास क्रेज:

बांधडीह और सिंहपुर गांव की गोभी 40 से 50 रुपये प्रति पीस बिकती है. किसान अमूल्यो महतो ने बताया कि वे रासायनिक खादों का उपयोग नहीं करते हैं, सिर्फ गोबर और पारंपरिक जैविक खाद से खेती करते हैं. इससे गोभी का स्वाद और गुणवत्ता दोनों बेहतर होते हैं.

– “सरकारी तलाब हमारे लिए वरदान है, यही खेतों की सिंचाई का मुख्य साधन है. –

अमूल्यो महतो

, बांधडीह

– पहले खेती व्यापक थी, अब सिंचाई की कमी के कारण घट गयी है. –

विजय महतो

, बांधडीह

– अब गांव में लगे डीप बोरिंग से भी सिंचाई हो रही है. पहले पूरा तालाब पर निर्भर था. –

शंकर महतो

, सिंहपुर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel