संवाददाता, खरसावांखरसावां, सरायकेला व आसपास के ओडि़या बहुल क्षेत्रों में रोजो संक्रांति का त्योहार सोमवार को हर्षोउल्लास के साथ संपन्न हो गया. तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार पर कई गांवों में मेला भी लगाया गया. इस आधुनिकता के दौर में भी रोजो संक्रांति पर महिलाओं के झूला झूलने की वर्षों पुरानी परंपरा की झलक दिखाई दी. महिलाओं द्वारा पेड़ों में रस्सी लगा कर झूला बनाने व झूला को विभिन्न तरह के फूलों से सजा कर झूलने की परंपरा का निर्वाह किया गया. झूला झूलते वक्त विशेष तौर से बनाये गये रोजो गीत को भी गाया गया. आषाढ़ माह के आगमन पर मॉनसून के स्वागत में ओडि़या समुदाय के लोग इस त्योहार को मनाते हैंै. इस मौके पर घरों में विशेष पकवान भी बनाये जाते हैंै. इस मौके पर घरों में विशेष रूप से चावल के पावडर से अल्पना भी तैयार की जाती है, जो किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम होता है. मौके पर खरसावां के देहरीडीह, रामपुर, गितीलोता, कुचाई के सेरेंगदा व जुगीडीह में ग्रामीण मेला व छऊ नृत्य का आयोजन किया गया. नृत्य के साथ-साथ मेला का भी आयोजन किया गया था, जहां सैकड़ों लोगों ने शामिल हो कर लुत्फ उठाया.
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खरसावां में रोजो संक्रांति श्रद्धा व उल्लास के साथ संपन्न
संवाददाता, खरसावांखरसावां, सरायकेला व आसपास के ओडि़या बहुल क्षेत्रों में रोजो संक्रांति का त्योहार सोमवार को हर्षोउल्लास के साथ संपन्न हो गया. तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार पर कई गांवों में मेला भी लगाया गया. इस आधुनिकता के दौर में भी रोजो संक्रांति पर महिलाओं के झूला झूलने की वर्षों पुरानी परंपरा की […]
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