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1991 के उपचुनाव में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे चंपई सोरेन

सरायकेला: सरायकेला के नवनिर्वाचित विधायक चंपई सोरेन पहली बार वर्ष 1991 के उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में उन्होंने तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हरा कर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. ‘झारखंड टाइगर’ के उपनाम से मशहूर चंपई सोरेन ने झारखंड […]

सरायकेला: सरायकेला के नवनिर्वाचित विधायक चंपई सोरेन पहली बार वर्ष 1991 के उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में उन्होंने तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हरा कर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. ‘झारखंड टाइगर’ के उपनाम से मशहूर चंपई सोरेन ने झारखंड अंादोलन से राजनीति में पदार्पण किया था और 1991 के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की और फिर कभी पीछे मुड़ कर नही देखा.

वर्ष 1995 के चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़े और भाजपा के ही पंचु टुडु को हरा कर फिर से विधायक बने. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर के कारण भाजपा के अनंतराम टुडु के हाथों हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2005 में भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक अनंतराम टुडु का टिकट काट दिया और लक्ष्मण टुडु को टिकट दे दिया. इस चुनाव में चंपई सोरेन ने अपनी खोयी प्रतिष्ठा वापस लाते हुए फिर से विधायक निर्वाचित हुए.

उन्होंने 880 वोट से जीत हासिल की. वर्ष 2009 के चुनाव में भी लक्ष्मण टुडु से ही 3200 वोट से जीत हासिल कर विधायक बने और 2010 में भाजपा झामुमो गंठबंधन सरकार में मंत्री बने. 2013 में भाजपा कांग्रेस गंठबंधन की सरकार बनी, तो इन्हें फिर से मंत्री पद मिला और तीन विभागों को प्रभार मिला. 2014 में फिर से विधायक निर्वाचित हुए हैं.

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