साहिबगंज : बोरियो प्रखंड के बिरबल कांदर निवासी मैसा पहाड़िया की मौत के बाद भी स्थानीय प्रशासन संवेदनशील नहीं दिख रहा. प्रशासनिक लापरवाही के कारण वृद्धावस्था पेंशन से वंचित होने के बाद मैसा दाने-दाने के लिए मोहताज हो गये थे. आखिरकार बुधवार को उसकी मौत हो गयी.
प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद सोमवार को दिन भर लोगों के बीच इसकी चर्चा होती रही. लोग मैसा की मौत से आहत रहे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की. इस मामले में पूछने पर बोरियो प्रखंड के बीडीओ गौतम कुमार भगत ने रटे-रटाये अंदाज में कहा कि मामले की जांच की जा रही है.
जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि स्थानीय अंचल प्रशासन ने अपनी अनुशंसा सूची में मैसा को मृत घोषित कर दिया था जिसके कारण उसकी आजीविका का एक मात्र आधार वृद्धा पेंशन अप्रैल 2013 में बंद हो गया था. सवाल है कि क्या मैसा को जिंदा रहते हुए मृत घोषित करने वाले सरकारी बाबुओं पर कार्रवाई होगी ? क्या यह तय हो पायेगा कि मैसा की मौत का जिम्मेवार कौन है ?
अप्रैल 2015 में लगायी थी पेंशन चालू करने की गुहार
मृतक मैसा पहाड़िया ने अपने पेंशन बंद हो जाने के एक वर्ष बाद सदर एसडीओ जितेन्द्र कुमार देव को आवेदन देकर बंद पेंशन को चालू कराने की गुहार लगायी थी. मैसा ने एसडीओ को दिये आवेदन में लिखा था कि मैं पहाड़ि जनजाति का अत्यंत गरीब आदमी हूं. मुझे नियमित रूप से वृद्धा पेंशन मिलता था लेकिन 2013 से मेरा पेंशन बंद हो गया. इस कारण मुझे काफी परेशानी हो रही है.
क्या मैसा टीबी का मरीज था ?
मैसा के गांव के लोगों का कहना है कि वह लंबे समय समय से बीमार था. कुछ लोगों ने उसके टीबी ग्रस्त होने की आशंका भी जता रहे हैं. कभी-कभार लोगों ने उसे दवा का सेवन करते भी देखा था. लेकिन, इस बारे में जब स्थानीय सीएचसी में पता किया गया तो कोई जानकारी नहीं मिली.