23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

?????? : ????? ?? ?????? ????? ?? ???? ?? ?????

प्रवचन : ध्यान से आंतरिक चेतना का होता है विकासध्यान वह आवश्यक प्रक्रिया है जिसके द्वारा आंतरिक चेतना का विकास होता है. ध्यान तथा आत्मसम्मोहन की प्रक्रियाएं आपस में विरोधी हैं. चेतना के विशेष स्तर पर पहुंचने के बाद आत्म-सम्मोहन का सहारा छोड़ दिया जाता है और ध्यान द्वारा आगे बढ़ा जाता है. सम्मोहन द्वारा […]

प्रवचन : ध्यान से आंतरिक चेतना का होता है विकासध्यान वह आवश्यक प्रक्रिया है जिसके द्वारा आंतरिक चेतना का विकास होता है. ध्यान तथा आत्मसम्मोहन की प्रक्रियाएं आपस में विरोधी हैं. चेतना के विशेष स्तर पर पहुंचने के बाद आत्म-सम्मोहन का सहारा छोड़ दिया जाता है और ध्यान द्वारा आगे बढ़ा जाता है. सम्मोहन द्वारा गहरा शिथिलीकरण प्राप्त होता है. हम अवचेतन मन में उतरते हैं और इंद्रीय संवेदनाओं को कम करते हैं. फिर भी हमें कुछ सीमा तक बाहरी चेतना कायम रखना चाहिये, ताकि अपने शिक्षक के आदेशों को सुन सकें. परन्तु आत्मसम्मोहन में बाहरी चेतना की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि आंतरिक चेतना बनाये रखना होता है. आत्मसम्मोहन हमें प्रत्याहार में ले जाता है. उससे ध्यान में होने वाले अनुभव नहीं होते. अतएव आत्मसम्मोहन ऐसे लोगों के लिए उपयोगी है जो तनावों से मुक्त होना चाहते हैं तथा अधिक प्रभावी ढंग से बाहरी दुनिया के कार्य करना चाहते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें