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झारखंड के पत्थर से मालामाल हो रहा बिहार व पश्चिम बंगाल

गोरखधंधा : रात भर साहिबगंज के गंगा घाट से 100 नावों से हो रही पत्थरों की तस्करी "200 में होती है 16000 के पत्थरों की तस्करी छापेमारी में प्रशासन हर बार नाकाम, होती है खानापूर्ति कैसे होती है तस्करी, कौन लोग हैं शामिल छोटा मदनशाही से लेकर शुक्र बाजार व सकरीगली तक का इलाका पत्थर […]

गोरखधंधा : रात भर साहिबगंज के गंगा घाट से 100 नावों से हो रही पत्थरों की तस्करी

"200 में होती है 16000 के पत्थरों की तस्करी
छापेमारी में प्रशासन हर बार नाकाम, होती है खानापूर्ति
कैसे होती है तस्करी, कौन लोग हैं शामिल
छोटा मदनशाही से लेकर शुक्र बाजार व सकरीगली तक का इलाका पत्थर माफियाओं के लिए सेफ जोन बना हुआ है. यहां से गदवा पहाड़, नीरा पहाड़, झरना टोली आदि पहाड़ महज दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर हैं. ट्रकों में अवैध पत्थर व चिप्स लोड कर गंगा नदी तक पहुंचने में सामान्य तौर पर इन वाहनों को 20 से 30 मिनट का समय लगता है.
एरिया में सक्रिय पत्थर माफिया इसका फायदा उठाते हैं. गंगा के तटों पर पहले पत्थरों का भंडारण किया जाता है. इसके बाद मनमाने तरीके से नाव के माध्यम से गंगा के रास्ते बिहार, पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता है. सूत्रों के अनुसार माफियाओं के साथ स्थानीय पुलिस भी मिली होती है और 200 रुपये प्रति नाव वसूली कर धड़ल्ले से नाव को जाने की अनुमति दे दी जाती है.
टास्क फोर्स व धावा दल भी बेबस
जिले में अवैध माइंस परिवहन उत्खनन आदि पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से टास्क फोर्स का गठन किया गया है. औचक छापेमारी के लिए धावा दल भी बनाया गया है, लेकिन जिला टास्क फोर्स एवं धावा दल को अब तक की छापेमारी में कोई खास सफलता कभी हाथ नहीं लगी. छापेमारी के पूर्व ही तस्कर सतर्क हो जाते हैं. छापेमारी महज खानापूर्ति साबित होती है.

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