लापरवाही. मिट्टी में मिल गयी करोड़ों की सड़कें, महंगा पड़ा शहर को सिवरेज सिस्टम
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20 करोड़ की सड़कें सिवरेज सिस्टम पर कुर्बान
लापरवाही. मिट्टी में मिल गयी करोड़ों की सड़कें, महंगा पड़ा शहर को सिवरेज सिस्टम पीएम के आगमन पर जिले में नयी सड़कें बनी थी. अब सिवरेज सिस्टम के निर्माण को लेकर बहुत से नयी सड़कों को तोड़ा जा रहा है. सरकारी पैसे की बरबादी हो रही है. साहिबगंज : जिले से होकर बहने वाली मां […]
पीएम के आगमन पर जिले में नयी सड़कें बनी थी. अब सिवरेज सिस्टम के निर्माण को लेकर बहुत से नयी सड़कों को तोड़ा जा रहा है. सरकारी पैसे की बरबादी हो रही है.
साहिबगंज : जिले से होकर बहने वाली मां गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने और शहर के गंदा पानी को नदी में सीधे जाने से रोकने के लिये केंद्र सरकार ने 132 करोड़ की लागत से बनने वाला सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट को जापान की तोसिबा कंपनी को सौंपा गया. जिसे तोसिबा ने भारतीय कंपनी शिवा को सौंप दिया. वहीं राज्य सरकार की एजेंसी जुडको को इस योजना की निगरानी का जिम्मा सौंपा. 30 माह में पूर्ण होने वाली इस योजना का लगभग आधा समय समाप्त हो गया.
लेकिन कार्य प्रगति की समीक्षा रिपोर्ट कही प्रकाशित नहीं है. पिछले 6 अप्रैल 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम साहिबगंज में हुआ. इसको देखते हुए शहर को चमकाने और सब कुछ ठीक-ठाक करने के उद्देश्य से मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के निर्देश पर पथ निर्माण विभाग द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से नगर पर्षद और पीडब्ल्यूडी की सड़कों का निर्माण व कालीकरण कराया गया. वहीं नगर पर्षद द्वारा भी युद्धस्तर पर कई सड़कों की मरम्मत करायी गयी.
इतना ही नहीं 2015-16 व 2016-17 में भी कई सड़क निर्माण नगर पर्षद द्वारा कराया गया था. ये सभी करोड़ों की सड़क सिवरेज सिस्टम की बली चढ़ गयी. शहर की कोई एक ऐसी गली या सड़क नहीं है, जिसे सिवरेज सिस्टम के तहत तोड़ा नहीं जा रहा है. यदि हम केवल नगर पर्षद द्वारा पर्षद 2015-16 व 2016-17 में शहर में बनायी गयी सड़क की बात करें तो नगर पर्षद इन दो वित्तीय वर्ष में 12 करोड़ 83 लाख 20 हजार 561 रुपये की लागत से कई सड़कों का निर्माण कराया था.
जबकि केवल प्रधानमंत्री के दौरे से पूर्व नगर पर्षद की सड़कें जो पीडब्ल्यूडी द्वारा बनायी गयी. वह भी 5 करोड़ 39 लाख 5 हजार 287 रुपये की लागत से बनायी गयी. सुभाष चौक से परिसदन तक 42.87 लाख, समाहरणालय से गंगा बिहार पार्क तक 30.50 लाख, सिदो कान्हू स्टेडियम से पश्चिमी रेलवे गेट तक 16.33 लाख, एनएच 80 से एसपी ऑफिस लिंग रोड 43.23 लाख, पूर्वी रेलवे गेट से संत जेवियर स्कूल होते हुए ग्रीन होटल तक 49.01 लाख पोखरिया से टाउन हॉल होते हुए टमटम स्टैंड तक 22.57 लाख रुपये, मंडलकारा के टाउन हॉल तक 49.59 लाख,
गंगा बिहार से सिदो कान्हू तक 47.51 लाख, हेलीपैड से स्टेज तक 46.60 लाख की सड़क निर्माण पथ निर्माण विभाग द्वारा सूबे के मुख्य सचिव के आदेश से बनाया जो कि सभी नगर पर्षद की सड़क है. इस प्रकार हम देखे तो शहर में तकरीबन 20 करोड़ की जो नयी सड़कें थी. वो सिवरेज सिस्टम पर कुर्बान हो गयी. जनता की इतनी राशि का दुरुपयोग हो गया. जिस का जवाब आज किसी के पास नहीं है.
आनन-फानन में बिना कार्य योजना के ही कई सड़कों की कर दी ढलाई व मरम्मत
प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर शहर को चमकाने के चक्कर में जैसे-तैसे बना दी सड़कें
अब सिवरेज सिस्टम से जोड़ने को लेकर हो रही परेशानी
तोड़ दी जा रही नयी सड़कें, जनता के पैसों की हो रही बरबादी
शहरी पेयजलापूर्ति योजना की तरह सिवरेज सिस्टम भी फेल होगी, यह कंपनी भी सरकार का पैसा लेकर फरार हो जायेगी. जनता के पैसों का लूट इस सरकार में इस प्रकार हो रहा है. जिसकी कोई सीमा नहीं है. इस सरकार में भ्रष्टाचार सीमा के पार हो गया है. जिस पर किसी का लगाम नहीं है.
एमटी राजा, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी
कहते हैं डीसी
सिवरेज सिस्टम पर प्रशासन की पूरी नजर है. समय-समय पर कंपनी के प्रतिनिधि व जुडको के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. कार्य की गुणवता और जनता की परेशानियों से अवगत कराया गया है. बरसात में लोगों को कीचड़ से कम परेशानी हो इसकी हिदायत दी गयी है. – डॉ शैलेश कुमार चौरसिया, डीसी
कहते हैं नगर पर्षद पदाधिकारी
शहर में बन रही सिवरेज सिस्टम का परमिशन राज्य मुख्यालय से ही नगर विकास विभाग को दिया गया है. इसका मॉनिटरिंग जुडको द्वारा किया जाता है. इस पर जनता के पैसाें की बर्बादी का जवाब हमारे पास नहीं है.
– रामनरेश सोनी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद
जितनी भी सड़कें सिवरेज सिस्टम के तहत काटी जा रही है. उसे 90 दिनों के भीतर रिस्टोर कर दिया जायेगा. पूर्व की जो सड़कें मरम्मत नहीं हो पायी है. उन ठेकेदार को टर्मिनेट कर दिया गया है और उनके स्थान पर नये ठेकेदारों को लगाया गया है. 90 दिन मिट्टी कॉम्पेक्ट होने के लिये छोड़ा जाना है.
– पीसी झा, लाइजिंग अधिकारी, सिवरेज
प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है कि शहर की सड़कें गड्ढे और मिट्टी में तब्दील हो गयी है. यदि प्रशासन समय रहते सही से मॉनिटरिंग करती तो शायद आज आम जनता को यह दिन देखना नहीं पड़ता. इसके क्रियान्वयन में तकनीकी खामियां भी है जो भविष्य में परेशानी बनेगी.
– प्रदीप कुमार, सचिव, साचेका
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