Terror funding case, Yogendra Saw Terror funding case रांची : उग्रवादी संगठनों से मिल कर लेवी वसूली मामले में एनआइए ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव से रांची स्थित जेल में पूछताछ की. यह पूछताछ वर्ष 2018 में बिहार और झारखंड के उग्रवादी संगठनों के लिए लेवी और रंगदारी वसूली के आरोप में दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी के आलोक में की गयी है. योगेंद्र साव फिलहाल रंगदारी के एक मामले में सजायाफ्ता हैं. वहीं चिरूडीह गोलीकांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने की वजह से जेल में बंद हैं.
एनआइए ने रांची स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर कर योगेंद्र साव से पूछताछ की अनुमति मांगी थी. इस पर एनआइए के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने पांच से सात जनवरी 2021 के बीच (किसी भी एक दिन) योगेंद्र साव से पूछताछ की अनुमति दी. साथ ही निर्देश दिया था कि पूछताछ के दौरा योगेंद्र साव को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाये. अदालत ने बिरसा मुंडा जेल के सक्षम पदाधिकारी को पूछताछ की उचित व्यवस्था करने को भी कहा था.
वर्ष 2016 में सबसे पहले टंडवा थाने में दर्ज की गयी थी प्राथमिकी : टंडवा पुलिस ने अाम्रपाली प्रोजेक्ट में उग्रवादियों के लिए लेवी वसूली के मामले में जनवरी 2016 में प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस ने इस मामले में विनोद कुमार गंझू को 1.49 करोड़ रुपये और हथियार के साथ गिरफ्तार किया था. हाइकोर्ट में गंझू की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान अभियुक्त की ओर से यह तर्क दिया गया था कि पुलिस द्वारा उसके पास से जब्त रकम लेवी की नहीं है.
यह रकम उसे कोयले की ढुलाई के लिए बतौर अग्रिम मिली है. सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पेश किये गये दस्तावेज और दलीलों के मद्देनजर हाइकोर्ट ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय(इडी) को भी जांच का आदेश दिया. इसके बाद इडी ने मामले की जांच कर मनी लाउंड्रिंग के आरोप में विनोद गंझू और प्रदीप राम की कुल 2.90 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआइए को टंडवा थाने में दर्ज इस मामले की जांच की अनुमति 2018 में दी. इसके बाद एनआइए ने दिल्ली में वर्ष 2018 में उग्रवादी संगठनों से मिल कर लेवी और रंगदारी वसूलने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की. दिल्ली एनआइए द्वारा दर्ज इस प्राथमिकी में बिहार और झारखंड के उग्रवादी संगठनों के लिए लेवी वसूलने का आरोप है.
Posted By : Sameer Oraon