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World Tribal Day 2025: भारत के राष्ट्रीय आदिवासी नायक

World Tribal Day 2025: विश्व आदिवासी दिवस 2025 पर उन आदिवासी नायकों की चर्चा करेंगे, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये थे. आजादी के बाद के उन नायकों के बारे में भी बात करेंगे, जिन्होंने देश और आदिवासी समाज को दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. आईए, जानते हैं.

World Tribal Day 2025: भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद सामाजिक चेतना जगाने में आदिवासी समुदायों ने अग्रणी और अप्रतिम भूमिका निभायी है. इन नायकों ने न केवल अंग्रेजी हुकूमत का डटकर सामना किया, बल्कि अपने जल, जंगल, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए असाधारण साहस और बलिदान भी दिया. विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2025) पर आज हम ऐसे ही देश के प्रमुख आदिवासी नायकों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों की चेतना और उनका साहस किसी भी मुश्किल का मुकाबला कर सकता है.

‘उलगुलान’ करने वाले बिरसा मुंडा भगवान बन गये

World Tribal Day Birsa Munda
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को छोटानागपुर के खूंटी जिले के उलिहातू में हुआ था. बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश अत्याचार और जमींदारी प्रथा के खिलाफ ‘उलगुलान’ (महाविद्रोह) का नेतृत्व किया था. वे आज भी ‘धरती आबा’ के रूप में पूजे जाते हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उनकी जयंती 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाना शुरू कर दिया है. बिरसा के आंदोलन के बाद ही अंग्रेजों ने आदिवासियों की भूमि के संरक्षण के लिए सीएनटी एक्ट (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) बनाया.

तिलका मांझी थे प्रथम स्वतंत्रता सेनानी

World Tribal Day Tilka Majhi
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

तिलका मांझी का जन्म 1750 में बिहार/झारखंड के संताल परगना में हुआ था. तिलका मांझी को प्रथम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है. वर्ष 1784-85 में इन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संताल विद्रोह का नेतृत्व किया. अंग्रेज अफसर क्लीवलैंड की हत्या करके आजादी के लिए चेतना जगायी.

सिदो-कान्हू मुर्मू ने अंग्रेजी सरकार की चूलें हिला दी

World Tribal Day Sidho Kanhu Murmu
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

सिदो-कान्हू मुर्मू का जन्म 1855 में झारखंड के संताल परगना में हुआ था. उन्होंने वर्ष 1855 में हूल क्रांति की. अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया, जिसने अंग्रेजी सरकार की चूलें हिला दी. अंग्रेजों ने सिदो-कान्हू की हूल क्रांति को कुचलने के लिए आदिवासी समाज के लोगों पर फायरिंग कर दी. सिदो-कान्हू के समर्थकों ने तीर-धनुष से जवाब दिया. हालांकि, बंदूक की गोलियों के आगे सिदो-कान्हू के समर्थक ज्यादा देर टिक न सके. हालांकि, उनके आंदोलन का नतीजा यह हुआ कि अंग्रेज एसपीटी एक्ट (संताल परगना टेनेंसी एक्ट) बनाने को मजबूर हुए.

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‘भीलों के मामा’ टांट्या भील लूटते थे अंग्रेजों का धन

World Tribal Day Tantya Bheel
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

टंट्या भील का जन्म 1842 में हुआ. उनका कार्यक्षेत्र मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात रहा. ‘भीलों के मामा’ कहलाने वाले टंट्या भील ने गुरिल्ला युद्ध-नीति अपनायी. अंग्रेजों का धन लूटकर गरीबों में बांट देते थे. वर्ष 1889 में वह पकड़े गये और अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी.

छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह ने दिया बलिदान

World Tribal Day Veer Ganga Narayan Singh
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

वीर नारायण सिंह का कार्यक्षेत्र छत्तीसगढ़ था. वर्ष 1856-57 में गरीबों के हक के लिए उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों के अनाज के गोदाम लूटे और अपना बलिदान दिया. वह छत्तीसगढ़ के पहले शहीद बने.

वीर बुधू भगत ने किया था कोल विद्रोह का नेतृत्व

Veer Budhu Bhagat
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

वीर बुधू भगत का जन्म झारखंड में हुआ. वह उरांव जनजाति से आते थे. झारखंड में उन्होंने कोल विद्रोह (1832-33) का नेतृत्व किया. वीर बुधू भगत अंतिम सांस तक आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ते रहे.

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‘रानी मां’ के नाम से जानी जाती हैं रानी गाइदिन्ल्यू

रानी गाइदिन्ल्यू नगालैंड/मणिपुर में सक्रिय थीं. पूर्वोत्तर की बेटी ने 1932 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था. उन्होंने सशस्त्र आंदोलन भी चलाया. उनको ‘रानी मां’ कहा जाता है.

World Tribal Day Rani Gaindiliu
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

‘रामपपा’ विद्रोह के नायक थे अल्लूरी सीताराम राजू

World Tribal Day Alluri Sitaram Raju
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

अल्लूरी सीताराम राजू का आंदोलन क्षेत्र आंध्रप्रदेश रहा. वर्ष 1922 में आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ ‘रामपपा’ विद्रोह का नेतृत्व किया. उनकी वीरता किंवदंती बन गयी.

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अन्य प्रमुख आदिवासी नायक और उनके काम

स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले कई और वीर हुए, जिनमें जतरा टाना भगत, कोमुरम भीम, तिरोत सिंह, राघोजी भांगरे, मालती मीम और लक्ष्मण नायक शामिल हैं. इन सभी नायकों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर देश और समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया. आज भी इनकी गाथाएं आदिवासी समाज और पूरे भारत को प्रेरणा देती हैं. आइए, विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2025) पर उनके बारे में संक्षेप में जानते हैं.

  • जतरा टाना भगत : जतरा टाना भगत झारखंड के रहने वाले थे. उन्होंने वर्ष 1912-14 के बीच स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वह गांधी के अनुयायी थे और अहिंसा का पालन करते थे. साथ ही खादी के सिवा और किसी वस्त्र का उपयोग नहीं करते थे. झारखंड में टाना भगत आज भी गांधी के अनन्य भक्त हैं और उनके बताये रास्ते पर चलते हैं.
  • कोमुरम भीम : कोमुरम भीम तेलंगाना के रहने वाले थे. उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए आंदोलन किया और आदिवासी समाज को जागृत किया.
  • तिरोत सिंह : मेघालय के रहने वाले तिरोत सिंह एक बहादुर व्यक्ति थे. उन्होंने खासी विद्रोह का नेतृत्व किया था.
  • राघोजी भांगरे : राघोजी भांगरे महाराष्ट्र के रहने वाले थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और ब्रिटिश सैनिकों की नाक में दम कर दिया.
  • मालती मीम : असम की रहने वाली मालती मीम ने चाय बागान सत्याग्रह किया था. उन्होंने चाय बागान श्रमिकों को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष किया.
  • लक्ष्मण नायक : ओडिशा के रहने वाले लक्ष्मण नायक ने गांधीवादी आंदोलनों का नेतृत्व किया.
  • उमंग सिंघार : मध्यप्रदेश के आदिवासी नेता. वह आदिवासी अधिकारों के लिए सक्रिय और राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी मुद्दों को उठाते हैं.
  • रानी दुर्गावती : मध्यकालीन भारत की वीरांगना और आदिवासी शासिका. उन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया था.

World Tribal Day 2025: आजादी के बाद के बड़े आदिवासी नायक

आजादी के बाद भी कई ऐसे आदिवासी नायक हुए, जिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. आईए, जानते हैं.

द्रौपदी मुर्मू

World Tribal Day Draupadi Murmu
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

ओडिशा में जन्मी और पली-बढ़ीं द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं. उन्होंने वर्ष 2022 में राष्ट्रपति का पदभार संभाला. इसके पहले वह झारखंड की राज्यपाल थीं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता द्रौपदी मुर्मू भारत में आदिवासियों के अब तक के शीर्ष नेताओं में सबसे बड़े पद तक पहुंचीं. वह देश की 15वीं राष्ट्रपति हैं. उनको पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ है. 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली. उनकी राजनीतिक यात्रा वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत से शुरू हुई थी. ओडिशा के मयूरभंज जिले से भाजपा के टिकट पर विधायक भी चुनी गयीं. उन्होंने ओडिशा सरकार में वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य और पशु संसाधन जैसे विभागों की मंत्री के रूप में काम किया.

जयपाल सिंह मुंडा

World Tribal Day Jaipal Singh Munda
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

झारखंड में जन्मे जयपाल सिंह मुंडा का नाम देश के बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार है. भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं. सबसे पहले जयपाल सिंह मुंडा ने ही अलग झारखंड राज्य के गठन की मांग की थी. झारखंड पार्टी बनाकर उन्होंने आजादी के बाद देश पर शासन करने वाली सबसे मजबूत पार्टी कांग्रेस को तत्कालीन बिहार में चुनौती दी थी. लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारकर उन्होंने आदिवासियों की ताकत बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. राजनीति में आने से पहले वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे. उनके नेतृत्व में ही भारत ने पहला ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीता था.

पीए संगमा

World Tribal Day Pa Sangama
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

पूर्वोत्तर से आने वाले पीए संगमा देश के बड़े आदिवासी नेता थे. कांग्रेस पार्टी में लंबे अरसे तक रहे. जब सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही थी, तो उन्होंने शरद पवार और तारिक अनवर के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इन तीनों नेताओं ने मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया. पीए संगमा लोकसभा अध्यक्ष भी रहे. उन्हें वर्ष 2012 में राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया था. हालांकि, वह डॉ अब्दुल कलाम से चुनाव हार गये.

शिबू सोरेन

World Tribal Day Shibu Soren
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

हजारीबाग जिले के नेमरा गांव (अब रामगढ़ जिले में) में जन्मे शिबू सोरेन आदिवासियों के बड़े नेता हुए. समाज सुधारक और राजनेता के रूप में उन्होंने जो काम किया, उसे सदैव दिया किया जायेगा. झारखंड को अलग राज्य बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उन्होंने जो काम किये, उसने उन्हें शिबू सोरेन से दिशोम गुरु शिबू सोरेन बना दिया. शिबू सोरेन को लोग प्यार और सम्मान से गुरुजी बुलाते हैं. शिबू सोरेन 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, एक बार भी वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. शिबू सोरेन लोकसभा और राज्यसभा के भी सदस्य रहे. केंद्र में मंत्री भी रहे. अलग झारखंड राज्य के आंदोलन के लिए उन्होंने कई बार जेल यात्रा की.विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2025) से 5 दिन पहले इस आदजिवासी नायक ने दुनिया को अंतिम जोहार कह दिया.

कार्तिक उरांव

World Tribal Day Kartik Oraon
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

झारखंड के गुमला के छोटे से गांव में जन्मे कार्तिक उरांव आदिवासियों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में गिने जाते हैं. लोग उन्हें प्यार से बाबा कार्तिक उरांव कहते हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग की कई डिग्री हासिल की थी. ब्रिटेन के सबसे अत्याधुनिक परमाणु संयंत्र का डिजाइन कार्तिक उरांव ने ही तैयार किया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कहने पर वह भारत लौट आये. यहां उन्होंने हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) में काम किया. लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. केंद्र में मंत्री भी बने. संभवत: वह पहले आदिवासी सांसद थे, जिसे केंद्र में मंत्री बनने का अ‍वसर मिला. विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2025) पर लोगों का यह जानना जरूरी है कि कार्तिक उरांव ने केंद्र में मंत्री रहते आदिवासियों के अधिकार के लिए आवाज बुलंद की.

डॉ रामदयाल मुंडा

World Tribal Day Dr Ram Dayal Munda
विश्व आदिवासी दिवस 2025.

डॉ रामदयाल मुंडा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. लंबे अरसे तक अमेरिका में रहने के बाद वह स्वदेश लौटे. यहां आने के बाद आदिवासियों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपनी सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित करें. अलग झारखंड राज्य के आंदोलन की रणनीति बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभायी थी. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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