16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कुवैत में ब्रिटिश कंपनी का मैनेजमेंट संभाल रहे कीर्ति मिंज, तरक्की के बाद भी नहीं छोड़ी अपनी परंपरा

World Tribal Day 2025: वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग करके वह बाहर नौकरी करने के लिए चले गये. तब से अब तक करीब 34 वर्षों से वह बाहर हैं, लेकिन आज भी झारखंड और उनका गांव उन्हें खींचता है. दोनों पति-पत्नी जून के समय जैसे ही छुट्टी मिलती है या कोई अवसर होता है, झारखंड चले आते हैं.

World Tribal Day 2025: झारखंड की मिट्टी और आबोहवा परदेस में बैठे लोगों को बरबस अपनी ओर खींचती रहती है. कीर्ति मिंज और उनकी पत्नी कुवैत में 19 सालों से बसे हुए हैं. वहां नौकरी कर रहे हैं. लेकिन उनका दिल झारखंड की मिट्टी, गांव और यहां के अपनों के बीच रचा-बसा है. दोनों हर बरस मौका मिलते ही यहां की मिट्टी की खुशबू महसूस करने चले आते हैं.

मूल रूप से गढ़वा के विश्रामपुर के हैं कीर्ति मिंज

मूल रूप से झारखंड के गढ़वा स्थित विश्रामपुर निवासी कीर्ति मिंज अपनी पत्नी विक्टोरिया के साथ 19 साल से कुवैत में बसे हुए हैं. कुवैत में वह ब्रिटिश कंपनी इकोवर्ट फैसिलिटी मैनेजमेंट में ऑपरेशन व मैनेजमेंट का पूरा काम संभाल रहे हैं. लंबे समय तक इंजीनियरिंग का अनुभव होने से उन पर कंपनी की बड़ी जिम्मेवारी है. इससे पूर्व उन्होंने दूसरी कंपनियों में भी सेवा दी है.

कई छोटे-बड़े शहरों से होते हुए कुवैत पहुंचे कीर्ति

गढ़वा से कुवैत के बीच उनका पड़ाव कई जगहों पर रहा. गढ़वा में पढ़ाई की, फिर रांची में रहने लगे. वर्ष 1991 में एनआइटी जमशेदपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. यहां से गुजरात पहुंचे, फिर दिल्ली. इसके बाद वर्ष 2006 में बड़ा अवसर मिला. तब वह करियर को आगे बढ़ाने के लिए कुवैत पहुंच गये. उनके इस संघर्ष और यात्रा में उनकी पत्नी विक्टोरिया मिंज हमेशा साथ रहीं. वह भी सरकारी नौकरी (एलआइसी) छोड़कर पति के साथ कुवैत चली गयीं.

झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

34 साल बाद भी कीर्ति को अपनी ओर खींचता है गांव

अभी विक्टोरिया वहां शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. उनके एकमात्र पुत्र स्पेन में रह रहे हैं. वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग करके वह बाहर नौकरी करने के लिए चले गये. तब से अब तक करीब 34 वर्षों से वह बाहर हैं, लेकिन आज भी झारखंड और उनका गांव उन्हें खींचता है. दोनों पति-पत्नी जून के समय जैसे ही छुट्टी मिलती है या कोई अवसर होता है, झारखंड चले आते हैं. कई दिनों तक अपने शुभचिंतकों व रिश्तेदारों के बीच रांची में समय व्यतीत करते हैं, फिर गांव (विश्रामपुर) चले जाते हैं. इस दौरान एक-एक रिश्तेदार और समाज के लोगों के साथ दिन बिताते हैं.

इसे भी पढ़ें : झारखंड में 2 दिन प्रचंड वर्षा की चेतावनी, जानें कहां-कहां कहर बरपायेगा मानसून

झारखंड हमेशा अपना सा लगता है : कीर्ति मिंज

कीर्ति मिंज ने बताया कि उन्होंने शुरू से ही नौकरी के क्षेत्र में कुछ करने की सोची थी. इसलिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश में झारखंड छोड़ दिया, लेकिन इतने लंबे समय के बाद भी झारखंड ही अपना लगता है. यहां आकर अपनापन महसूस होता है. हर कुछ अपना लगता है.

इसे भी पढ़ें

पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल 5 आदिवासी नेताओं के बारे कितना जानते हैं आप?

World Tribal Day: आदिवासियों के बारे में नहीं जानते होंगे ये 7 बातें, जानकर दांतों तले दबा लेंगे उंगलियां

शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ब्रेन डेड, सिर्फ बॉडी फंक्शनल, दुमका में बोले स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी

World Tribal Day 2025: पीएम मोदी के ‘मन’ को भायी संथाली साहित्यकार धर्मेजय हेंब्रम की रचना

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel