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राजधानी की बहुमंजिली इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच होगी, वह मेंटेन होता है या नहीं : हाइकोर्ट

हाइकोर्ट ने नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बहुमंजिली इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच के लिए अधिवक्ताओं की समिति बनायी.

रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान बहुमंजिली इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच के लिए अधिवक्ताओं की समिति बनायी. समिति में छह अधिवक्ताओं को सदस्य बनाया गया है. समिति के सदस्य रांची नगर निगम के तीन इंजीनियरों के साथ भवनों में जाकर माैके पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच करेगी तथा अपनी रिपोर्ट कोर्ट को साैपेगी. पिछली सुनवाई के दाैरान एमीकस क्यूरी का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने पूछा था कि जिन बहुमंजिली इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है, वह मेंटेन होता है या नहीं. वह सिस्टम काम कर रहा है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 18 जून की तिथि तय की. इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की स्थल जांच कराने का आग्रह किया. वहीं रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पूर्व की सुनवाई में रांची नगर निगम की ओर से बताया गया था कि 710 अपार्टमेंट में से 648 में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जा चुका है. 62 अपार्टमेंट में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने को कहा गया है. 300 स्क्वॉयर मीटर या उससे ऊपर के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों व अपार्टमेंट से डेढ़ गुना अतिरक्ति होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है.

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