रांची. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार सदैव एक बड़ी चुनौती रहा है. दूरस्थ गांवों की भौगोलिक स्थिति, सीमित संसाधन, सामाजिक संकोच और आर्थिक बाधाओं के बावजूद यदि कोई संगठन निःस्वार्थ भाव से शिक्षा के दीप जलाता है, तो वह केवल विद्यालय नहीं, बल्कि भविष्य, आत्मबल और सामाजिक दिशा भी गढ़ता है. राज्यपाल ने उक्त बातें गुरुवार को राजभवन में आयोजित वनवासी कल्याण केंद्र के कार्यक्रम में कही. इस मौके पर राज्यपाल ने तपकरा विद्यालय के पूर्व छात्र सोहन यादव का विशेष रूप से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि सोहन का इसरो में वैज्ञानिक के रूप में चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे ऐतिहासिक अभियानों में योगदान देना यह सिद्ध करता है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो वनवासी बच्चे भी राष्ट्र को गौरवान्वित कर सकते हैं. उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.
समिति का कार्य सराहनीय
राज्यपाल ने कहा कि समिति द्वारा वर्तमान में राज्य के 11 जिलों के छह प्रखंडों में 80 सरस्वती शिशु विद्या मंदिर संचालित किये जा रहे हैं. इनमें 26 उच्च विद्यालय तथा 54 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वनवासी कल्याण केंद्र केवल पाठशालाओं तक सीमित न रहकर, सामाजिक उत्थान, ग्राम विकास, स्वास्थ्य, संस्कार, राष्ट्र भावना और नेतृत्व निर्माण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी कार्य कर रहा है, जो सराहनीय है. राज्यपाल ने वनवासी कल्याण केंद्र से संबद्ध श्रीहरि वनवासी विकास समिति द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की. इस अवसर पर राज्यपाल ने सुमन रमेश तुलस्यानी ट्रस्ट मुंबई द्वारा विवेकानंद विद्यालय, लचरागढ़ (सिमडेगा) को दी गयी दो नयी स्कूल बस का शुभारंभ झंडी दिखाकर किया.
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