रांची. झारखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली है. 24 मार्च को डॉ डीके तिवारी का कार्यकाल पूरा होने के बाद से सरकार द्वारा उक्त पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गयी है. राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली रहने का असर नगर निकाय चुनाव की तैयारियों पर भी पड़ रहा है. आयोग को जिलों से चुनाव पूर्व तैयारियों के आलोक में दिये गये निर्देशों के अनुपालन की सूचना नहीं मिल रही है. जिलों में की जा रही तैयारियों की समीक्षा नहीं हो पा रही है. इधर, झारखंड हाइकोर्ट द्वारा नगर निकाय चुनाव कराने के लिए पूर्व में दिया गया चार महीने का समय 16 मई को पूरा हो रहा है. वर्तमान परिस्थितियों में निर्धारित तिथि तक निकाय चुनाव संभव नहीं प्रतीत हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार न्यायालय से चुनाव कराने के लिए और समय मांग सकती है.
अब तक की गयी तैयारी
निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में शहरी निकायों का चुनाव कराने के पूर्व की प्रक्रिया संपादित की जा रही है. निकाय चुनाव कराने के लिए ओबीसी सर्वेक्षण का काम अंतिम चरण में है. चुनाव आयोग से मतदाता सूची लेकर उसे स्थानीय निकायों की सीमा के आलोक में तैयार कर लिया गया है. जिला मुख्यालयों से मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया गया है. आयोग द्वारा जिलों में मतदान केंद्रों की सूची तैयार करने पर भी काम किया जा रहा है.
पांच वर्षों से लंबित है निकाय चुनाव
राज्य के 13 नगर निकायों में वर्ष 2020 से ही चुनाव लंबित है. वहीं, 35 अन्य शहरी निकायों का कार्यकाल वर्ष 2023 के मार्च-अप्रैल महीने में समाप्त हुआ था. यहां उल्लेखनीय है कि संविधान के 74वें संशोधन में शहरी निकायों में चुनाव नहीं कराना स्थानीय निकायों को कमजोर करना माना गया है. नगर निकायों का चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. चुनाव में हो रही देरी के कारण वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने राज्य को दिये जानेवाले अनुदान पर रोक लगा दी है. शहरी निकायों के विकास के लिए आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपये पर झारखंड का दावा है.
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