रांची. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान चौधरी बगान हरमू रोड में प्रवचन के दौरान ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि मानव स्वभाव के प्रदूषण का स्थिति आज चरम पर है. वर्तमान समय में विश्व और देश में जो अराजकता पूर्ण परिवेश है, वैसी ही स्थिति आज से पांच हजार वर्ष पूर्व महाभारत काल में थी. लोग कहते हैं कि किसी भी समय यह संसार मटियामेट हो सकता है. हमारे ग्रंथों में भारत को भगवान का अवतार व लीला भूमि कहा गया है. स्वयं भगवान द्वारा कल्प-कल्प भारत के माध्यम से विश्व के नव सृजन का कार्य संपन्न होता है. ज्ञानी समुदाय ही इस परम पवित्र कार्य में सहयोगी बनता है. ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिखाये जा रहे प्राचीन राजयोग से ही मानव जीवन ज्ञान से प्रकाशित होते हैं. उन्होंने कहा कि सारा संसार सच्चे योगियों के प्रत्यक्ष होने की बाट जोह रहा है, क्योंकि उन्हें पता है कि योगी ही उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगे. गीता में वर्णित भगवान के महावाक्यों के अनुसार कल्प अंत के साथ ही कल्प आरंभ भी आदिपिता सृष्टि रचयिता ब्रह्मा द्वारा किया जाता है. विश्व रूपी यह कल्पवृक्ष पुनः योग द्वारा कायाकल्प को प्राप्त हो रहा है. योगाभ्यास करते हुए स्थितप्रज्ञ होने में ही कल्याण है. आध्यात्म का मुख्य प्रयोजन बुद्धि की साम्य अवस्था ही है व दिव्य पुरुषार्थ का लक्ष्य यही है कि हमारा मन निर्मल झील की तरह हो, जो जय-पराजय की लहरों के द्वंद के मध्य एक-रस लवलीन स्मृति में आनंद विभोर रहे.
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