मनोज लाल, रांची. राज्य में ट्रांसपोर्ट टैक्स से जुड़े बड़े बकायेदारों से वसूली नहीं हो पा रही है. सर्टिफिकेट केस करने के बाद भी जब वसूली नहीं हो सकी, तो बड़े बकायेदारों पर बॉडी वारंट जारी किया गया. इसके बाद भी आशा के मुताबिक वसूली नहीं हो सकी. सभी जिलों में इन डिफॉल्टरों से वसूली के लगातार प्रयास हो रहे हैं. इसमें परिवहन विभाग को बड़ी परेशानी हो रही है. ऐसे में विभाग ने वसूली के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लायी. इसके बाद भी बात नहीं बनी, तो अब विभाग नयी पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है.
क्या थी वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी
इस पॉलिसी के तहत सभी डिफॉल्टरों से एक बार में एकमुश्त बकाया राशि लेनी थी. लंबे समय से जिन बकायेदारों से वसूली नहीं हो रही थी, उनके लिए विशेष रूप से यह पॉलिसी लायी गयी थी. इसमें बकायेदारों से एकमुश्त 50 प्रतिशत राशि लेकर सेटलमेंट की योजना थी.400 करोड़ से अधिक का है बकाया
विभाग ने सभी जिलों के बकायेदारों का आकलन कराया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि 400 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया डिफॉल्टरों के पास है. जो सेटलमेंट पॉलिसी लायी गयी थी, उससे विभाग को कम-से-कम 150 करोड़ रुपये वसूली का अनुमान था, पर विभाग को मात्र 10 करोड़ रुपये ही मिले. बड़े बकायेदार टैक्स की राशि देने पहुंचे ही नहीं.परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में बनी है कमेटी
बड़े बकायेदारों से वसूली के लिए विभाग ने परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय नयी कमेटी बनायी है. इस कमेटी को बड़े बकायेदारों से वसूली के लिए नयी पॉलिसी तैयार करनी है. इसके लिए कमेटी ने बिहार सहित अन्य राज्यों का अध्ययन कर लिया है. अब विभाग को रिपोर्ट सौंपेगी. उसके आधार पर वसूली के लिए नयी पॉलिसी तैयार होगी.एकीकृत बिहार के समय का भी है बकाया
बड़े डिफॉल्टरों के पास एकीकृत बिहार के समय का भी बकाया है. वहीं कई के मोबाइल नंबर भी बदल गये हैं. उनके बारे में पता भी नहीं चल पा रहा है. उनसे वसूली में विभाग को काफी परेशानी हो रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

